समस्या(परेशानी) को समझ तो लें
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"कहा जाता है कि इंसान की ज़िन्दगी में जब भी कोई "समस्या" या "परेशानी" आती है, तो वह "हड़बड़ा" जाता हैं, और सोचे-समझे बग़ैर "जल्दबाज़ी" में कुछ ऐसे काम कर जाता है, जिससे उसकी परेशानी या समस्या बजाय हल होने के और "बढ़" जाती है।
"दरअसल, ये बात बहुत हद तक सही है कि अक्सर जब ज़िन्दगी में हमारे सामने समस्या या परेशानी आकर खड़ी हो जाती है, तो हम "परेशान" हो जाते हैं, और उस परेशानी से जल्द से जल्द "निजात" पाना चाहते हैं, और "आनन-फानन" में बिना ठीक से सोचे और समझे ही हम "कुछ कर गुज़रने लगते हैं, जिससे हमारी परेशानी हल होने के बजाय और बढ़ जाती है, और तब हम "क़िस्मत" को "दोष" देते हैं।
"असल में, ज़िन्दगी में हम जब समस्या से "रूबरू" होते हैं, तो अक्सर हम हड़बड़ा जाते हैं, और उस "हड़बड़ाहट" का नतीजा यह होता है कि हम समस्या से निबटने के लिये "कार्यवाही" पहले शुरू कर देते हैं, और "समस्या" को "समझते" बाद में हैं। हम समस्या या परेशानी को समझने का "वक़्त" ही नहीं देना चाहते, बस जल्दी से उसका "निदान" चाहते हैं। और यही वजह है कि हमें उस समस्या का "आधा-अधूरा" ही "निदान" मिल पाता है।
"दरअसल, इंसान की ज़िन्दगी का समस्याओं या परेशानियों से "चोली-दामन" का साथ होता है, और वे आती ही रहती हैं, लेकिन हमें ये चाहिए कि ज़िन्दगी में जब भी कभी किसी मोड़ पर कोई समस्या या परेशानी आकर खड़ी हो जाये, तो मेरे दोस्तों, हमें और आपको चाहिए कि "हड़बड़ाहट", या "जल्दीबाज़ी" में, उस समस्या को हल करने के लिये कोई ऐसा "क़दम" ना उठायें, जिससे हमारी "परेशानी" हल होने के बजाय और "बढ़" जाये, हमें करना ये चाहिए कि जो समस्या या परेशानी हमारे सामने आ गयी है, सबसे पहले उसकी "जड़ तक" जाएँ, उसे ठीक से "समझने" की कोशिश करें, और तब उसके "समाधान" की कोशिश करें, क्योंकि जब हम समस्या की जड़ तक जाकर उसे समझ लेंगे, तब हमें उसके "समाधान" में भी "आसानी" होगी, और हम अपनी परेशानी एक "मुकम्मल समाधान" कर पाएंगे।। (शुक्रिया)
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"कहा जाता है कि इंसान की ज़िन्दगी में जब भी कोई "समस्या" या "परेशानी" आती है, तो वह "हड़बड़ा" जाता हैं, और सोचे-समझे बग़ैर "जल्दबाज़ी" में कुछ ऐसे काम कर जाता है, जिससे उसकी परेशानी या समस्या बजाय हल होने के और "बढ़" जाती है।
"दरअसल, ये बात बहुत हद तक सही है कि अक्सर जब ज़िन्दगी में हमारे सामने समस्या या परेशानी आकर खड़ी हो जाती है, तो हम "परेशान" हो जाते हैं, और उस परेशानी से जल्द से जल्द "निजात" पाना चाहते हैं, और "आनन-फानन" में बिना ठीक से सोचे और समझे ही हम "कुछ कर गुज़रने लगते हैं, जिससे हमारी परेशानी हल होने के बजाय और बढ़ जाती है, और तब हम "क़िस्मत" को "दोष" देते हैं।
"असल में, ज़िन्दगी में हम जब समस्या से "रूबरू" होते हैं, तो अक्सर हम हड़बड़ा जाते हैं, और उस "हड़बड़ाहट" का नतीजा यह होता है कि हम समस्या से निबटने के लिये "कार्यवाही" पहले शुरू कर देते हैं, और "समस्या" को "समझते" बाद में हैं। हम समस्या या परेशानी को समझने का "वक़्त" ही नहीं देना चाहते, बस जल्दी से उसका "निदान" चाहते हैं। और यही वजह है कि हमें उस समस्या का "आधा-अधूरा" ही "निदान" मिल पाता है।
"दरअसल, इंसान की ज़िन्दगी का समस्याओं या परेशानियों से "चोली-दामन" का साथ होता है, और वे आती ही रहती हैं, लेकिन हमें ये चाहिए कि ज़िन्दगी में जब भी कभी किसी मोड़ पर कोई समस्या या परेशानी आकर खड़ी हो जाये, तो मेरे दोस्तों, हमें और आपको चाहिए कि "हड़बड़ाहट", या "जल्दीबाज़ी" में, उस समस्या को हल करने के लिये कोई ऐसा "क़दम" ना उठायें, जिससे हमारी "परेशानी" हल होने के बजाय और "बढ़" जाये, हमें करना ये चाहिए कि जो समस्या या परेशानी हमारे सामने आ गयी है, सबसे पहले उसकी "जड़ तक" जाएँ, उसे ठीक से "समझने" की कोशिश करें, और तब उसके "समाधान" की कोशिश करें, क्योंकि जब हम समस्या की जड़ तक जाकर उसे समझ लेंगे, तब हमें उसके "समाधान" में भी "आसानी" होगी, और हम अपनी परेशानी एक "मुकम्मल समाधान" कर पाएंगे।। (शुक्रिया)
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