*एक किसान की बदहाल तस्वीर को देखकर मन में उपजे भावों को शब्दों में ढालने का प्रयास किया गया है..

*एक किसान की बदहाल तस्वीर को देखकर मन में उपजे भावों को शब्दों में ढालने का प्रयास किया गया है..

सुनो .......
महल वालों तुम क्या जानो
खंड़हर मकान क्या होता है

एक किसान जानता है..
किसान क्या होता है..

कभी बाढ़ डुबो देती है
कभी सूखा सुखा देता है

एक किसान जानता है..
अरमानों का श्मशान क्या होता है..

झूल जाता है फांसी पर
जमीन से वफा निभाते निभाते

एक किसान जानता है..
वफा का ईनाम क्या होता है..

काट लेते हैं मुनाफाखोर फसल
औने पौने दामों पर बाजार में

एक किसान जानता है..
खून पसीने का दाम क्या होता है..

कहने को तो बीत गए
'परम' आजादी को सत्तर साल

मगर एक किसान जानता है..
जमीन का लगान क्या होता है...*
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