[[☆😔बिखरने लगी हूँ मैं आजकल😔☆]]
अपने आप को बहुत सुलझी हुई इंसान मानती आई हूँ,
लेकिन अब बहुत उलझने लगी हूँ !
कुछ समझ नहीं आता !
अब बस इतना समझ मे आ गया है कि मैं #नारी हूँ !
अपने आप मे बड़ी बात है नारी होना,
लेकिन जबसे समझ मे आया है अपनी कीमत कम कम सी लगने लगी है,
उस दिन मेरी रूह कांप उठी जब एक माँ ने बोला कि दामाद को कुछ होने से अच्छा है अगर उसकी बेटी को कुछ हो जाए,
दुनिया घूम सी गयी जब 1 साल की उमर मे मर जाने वाला बेटा ज़्यादा ज़रूरी हो गया 24 साल की ज़िंदा बेटी से,
घर ऐसे भी हैं जहाँ सालों से बेटा ना होने का मातम मनता आ रहा है लेकिन बेटी होने की खुशी कभी नहीं मनाई गई !
अपने घर से विदा हो जाती है और दूसरे घर मे कभी अपनाई ही नहीं जाती !
कोई लाख सर आँखों पे रखे बहू से पहले ध्यान बेटे का ही किया जाता है !
एक लड़की हूँ मैं, भाई मुझसे बेहतर है, पति मुझसे बेहतर है !
बस कभी कभी मज़ाक मे मुझे देवी कह दिया जाता है!
एक अजीब सी बात सिखा दी गई है मुझे कि त्याग करना मेरा धर्म है,
परंतु मुझे आज तक वो किताब नहीं मिली जिसमे ये लिखा गया हो !
सोचती हूँ क्या बदल जाएगा, जब मैं माँ बन जाउंगी, क्या मैं महान हो जाऊंगी ????
बच्चे के नाम के आगे नाम तो बाप का ही लगेगा !
मुझे समझ नहीं आता ये त्याग हमारी मर्ज़ी से होते हैं या हमसे ज़बरदस्ती करवाए जाते हैं !
क्या मुझे खुशी नहीं होगी अगर कोई मुझसे शादी करके मेरा सरनेम अपनाए !
मेरे बच्चे के नाम से मेरा नाम जुड़ा हो !
इतने साल तो कर ली हुकूमत पुरुषों ने ,
अब क्या अंत नहीं होगा उनकी हुकूमत का ????
क्या कभी कोई माँ ये नहीं कहेगी कि मुझे तो दामाद से प्यारी मेरी बेटी है या बेटे से अच्छी तो बहू है
कहने को बहुत से लोग ये सब कह भी देते हैं लेकिन सच तो सच है!😒😒😒
अपने आप को बहुत सुलझी हुई इंसान मानती आई हूँ,
लेकिन अब बहुत उलझने लगी हूँ !
कुछ समझ नहीं आता !
अब बस इतना समझ मे आ गया है कि मैं #नारी हूँ !
अपने आप मे बड़ी बात है नारी होना,
लेकिन जबसे समझ मे आया है अपनी कीमत कम कम सी लगने लगी है,
उस दिन मेरी रूह कांप उठी जब एक माँ ने बोला कि दामाद को कुछ होने से अच्छा है अगर उसकी बेटी को कुछ हो जाए,
दुनिया घूम सी गयी जब 1 साल की उमर मे मर जाने वाला बेटा ज़्यादा ज़रूरी हो गया 24 साल की ज़िंदा बेटी से,
घर ऐसे भी हैं जहाँ सालों से बेटा ना होने का मातम मनता आ रहा है लेकिन बेटी होने की खुशी कभी नहीं मनाई गई !
अपने घर से विदा हो जाती है और दूसरे घर मे कभी अपनाई ही नहीं जाती !
कोई लाख सर आँखों पे रखे बहू से पहले ध्यान बेटे का ही किया जाता है !
एक लड़की हूँ मैं, भाई मुझसे बेहतर है, पति मुझसे बेहतर है !
बस कभी कभी मज़ाक मे मुझे देवी कह दिया जाता है!
एक अजीब सी बात सिखा दी गई है मुझे कि त्याग करना मेरा धर्म है,
परंतु मुझे आज तक वो किताब नहीं मिली जिसमे ये लिखा गया हो !
सोचती हूँ क्या बदल जाएगा, जब मैं माँ बन जाउंगी, क्या मैं महान हो जाऊंगी ????
बच्चे के नाम के आगे नाम तो बाप का ही लगेगा !
मुझे समझ नहीं आता ये त्याग हमारी मर्ज़ी से होते हैं या हमसे ज़बरदस्ती करवाए जाते हैं !
क्या मुझे खुशी नहीं होगी अगर कोई मुझसे शादी करके मेरा सरनेम अपनाए !
मेरे बच्चे के नाम से मेरा नाम जुड़ा हो !
इतने साल तो कर ली हुकूमत पुरुषों ने ,
अब क्या अंत नहीं होगा उनकी हुकूमत का ????
क्या कभी कोई माँ ये नहीं कहेगी कि मुझे तो दामाद से प्यारी मेरी बेटी है या बेटे से अच्छी तो बहू है
कहने को बहुत से लोग ये सब कह भी देते हैं लेकिन सच तो सच है!😒😒😒
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