-------------- #विश्व_स्तनपान_सप्ताह_विशे ष -------------
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तुम्हारी आँखों में नई आँखों के छोटे-छोटे दृश्य हैं ,तुम्हारे कंधों पर नए कंधों का हल्का-सा दबाव है –
तुम्हारे होंठों पर नई बोली की पहली चुप्पी है
और तुम्हारी अंगुलियों के पास कुछ नए स्पर्श हैं
माँ, मेरी माँ,
तुम कितनी बार स्वयं से ही उग जाती हो ,और माँ, मेरी जन्मकथा कितनी ताज़ी ,और अभी-अभी की है!
एक बच्चे के जीवन में माँ का बड़ा महत्व होता हैं, बच्चे के बिना बोले उसकी पीड़ा को केवल एक माँ ही समझ सकती हैं, हम ऐसा भी कह सकते हैं कि “माँ” के रूप में भगवान ही हमारे साथ रहते हैं। एक महिला भी माँ बनकर खुद को सम्पूर्ण करती है ।
आज विश्व स्तनपान सप्ताह है , तो चलिए माँ द्वारा पोषण दिए जाने के पर्व के तौर पर मनाए जाने वाले, इस दिवस विशेष की कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू होते है -
#इतिहास -
विश्व का पहला स्तनपान दिवस 1992 में World Alliance for Breastfeeding Action (WABA) द्वारा आयोजित किया गया एक इवेंट था जिसमे लोगो को जोड़ने की एक मुहिम शुरू की गई ताकि वो स्तनपान को लेकर जागरूक हो सके , बाद में इसे WHO ने अपने एक प्रोग्राम में सम्मिलित कर लिया और आज ये पूरे विश्व मे मनाया जाता है , आज के समय मे विश्व स्तनपान सप्ताह 120 देशों में मनाया जाता है विश्व स्तनपान सप्ताह 1 ऑगस्त से शुरू होकर 8 अगस्त तक मनाया जाता है ।
AAP (आम आदमी पार्टी नही)American Academy of Pediatrics और WHO की रिसर्च ने अपनी रिसर्च में पाया कि स्तनपान कराने से शिशु और माँ दोनो को स्वास्थ्य लाभ मिलता है और माँ का प्रथम दूध बच्चे के लिए सबसे जरूरी है ।भारतीय कल्चर में स्तनपान 16 संस्कारो में एक मुख्य भी कर्म है ।।
#स्तनपान_माँ_को_लाभ -
स्तनपान, प्रसवोत्तर के बाद वजन को कम रखने में मदद करता है। जैसे ही मां बच्चो को स्तनपान करवाने लगती है, जिससे उनके शरीर में खिंचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण उनका वजन कम होने लगता है। एक बच्चे को स्तनपान कराते समय, एक माँ को दैनिक रूप से अतिरिक्त 400 से 500 कैलोरी की जरूरत होती है। लेकिन स्तनपान के समय, एक ही समय में, 500 कैलोरी एक दिन में ख़र्च हो जाती है। क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अमेरिकन जर्नल 2008 में प्रकाशित एक अध्ययन से निष्कर्ष निकाला है कि जिन महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में वजन बढ़ जाता है वो प्रसव के छह महीने बाद तक स्तनपान कराने से अतिरिक्त वजन को कम कर सकती है। जिन माताओं को मधुमेह नहीं है, स्तनपान कराने से उनके जीवन में मधुमेह का खतरा भी कम हो जाता है, जबकि मधुमेह के साथ माताओं को इंसुलिन के लिए उनकी आवश्यकता को कम और नियंत्रण में सुधार कर सकते हैं।मधुमेह समीक्षा की 2011 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, स्तनपान भविष्य में दोनों टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के विकास के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
#स्तनपान_बच्चे_को_लाभ -
मां के दूध में प्रोटीन, वसा, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट का सही संयोजन होता है जो आपके बच्चे के विकास में मदद करते हैं। मां के दूध में मौजूद प्रोटीन आसानी से पच जाता है और इसमें संक्रमण-सुरक्षा के गुण होते हैं। मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। माँ का दूध प्राकृतिक रूप से शिशु वृद्धि के लिए आवश्यक सभी घटकों से परिपूर्ण होता है। इसलिए यह आपके शिशु के जीवन के लिए जरूरी है। मां के दूध में कैल्शियम और लोहा होता है जो शिशु के द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिए जाते हैं, जो स्वस्थ हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा, मां के दूध में स्वस्थ वसा शामिल हैं जो कि मस्तिष्क, रेटिना और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए आवश्यक है।लैक्टोज, कार्बोहाइड्रेट भी मां के दूध में पाया जाता है, जो शिशुओं में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य खनिजों के अवशोषण से आंतों में सुधार लाता हैं।एक महीनें से एक साल की उम्र में शिशु में SIDS (अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण) का खतरा रहता है। कम से कम छह महीनो के लिए अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल करना अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) को रोकने में मदद कर सकता है, क्योंकि मां का दूध शिशु को इस ख़तरे से बचाता है।
बाल रोग के जर्नल में प्रकाशित 2009 के एक अध्ययन की रिपोर्ट है कि स्तनपान करने से 50 प्रतिशत तक SIDS का जोखिम को कम हो जाता है। स्तनपान अधिक आसानी से शिशुओं को नींद से जगा देता है, जो बदले में SIDS के खिलाफ शिशु की रक्षा करता हैं। इसके अलावा, प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में सहायता करता है।
#विशेष -
बाल चिकित्सा और बाल स्वास्थ्य के जर्नल 2008 में प्रकाशित अध्ययन में पाया है कि स्तनपान पीडियाट्रिक कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए पूर्ण रूप से स्तनपान करने से इससे बचाव किया जा सकता है। मानव स्तनपान के जर्नल 2012 में प्रकाशित अध्ययन में पाया है कि मानव दूध में लिम्फोब्लासटिक ल्यूकेमिया(lymphoblastic leukemia) जैसे रोग के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए TRAIL नामक प्रोटीन पाया जाता है। एक्टा पएडियट्रिका 2015 में प्रकाशित ताजा अध्ययन में पाया गया है कि माताओं के लिए अधिक से अधिक 12 महीनों के लिए स्तनपान कराना स्तन या गर्भाशय के विकास के साथ जुड़े जोखिम को कम करता है। इससे महिलाओं में स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कम होता है। मां के दूध में फैटी एसिड और DHA होता है जो बच्चो में उच्च एकाग्रता और बेहतर दृष्टि के पीछे का कारण है। DHA आंख की रेटिना के मुख्य संरचनात्मक घटकों में से एक है। इसके अलावा, मां का दूध नेत्र संक्रमण का मुकाबला करने के लिए अच्छा है। इसके प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
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तुम्हारी आँखों में नई आँखों के छोटे-छोटे दृश्य हैं ,तुम्हारे कंधों पर नए कंधों का हल्का-सा दबाव है –
तुम्हारे होंठों पर नई बोली की पहली चुप्पी है
और तुम्हारी अंगुलियों के पास कुछ नए स्पर्श हैं
माँ, मेरी माँ,
तुम कितनी बार स्वयं से ही उग जाती हो ,और माँ, मेरी जन्मकथा कितनी ताज़ी ,और अभी-अभी की है!
एक बच्चे के जीवन में माँ का बड़ा महत्व होता हैं, बच्चे के बिना बोले उसकी पीड़ा को केवल एक माँ ही समझ सकती हैं, हम ऐसा भी कह सकते हैं कि “माँ” के रूप में भगवान ही हमारे साथ रहते हैं। एक महिला भी माँ बनकर खुद को सम्पूर्ण करती है ।
आज विश्व स्तनपान सप्ताह है , तो चलिए माँ द्वारा पोषण दिए जाने के पर्व के तौर पर मनाए जाने वाले, इस दिवस विशेष की कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू होते है -
#इतिहास -
विश्व का पहला स्तनपान दिवस 1992 में World Alliance for Breastfeeding Action (WABA) द्वारा आयोजित किया गया एक इवेंट था जिसमे लोगो को जोड़ने की एक मुहिम शुरू की गई ताकि वो स्तनपान को लेकर जागरूक हो सके , बाद में इसे WHO ने अपने एक प्रोग्राम में सम्मिलित कर लिया और आज ये पूरे विश्व मे मनाया जाता है , आज के समय मे विश्व स्तनपान सप्ताह 120 देशों में मनाया जाता है विश्व स्तनपान सप्ताह 1 ऑगस्त से शुरू होकर 8 अगस्त तक मनाया जाता है ।
AAP (आम आदमी पार्टी नही)American Academy of Pediatrics और WHO की रिसर्च ने अपनी रिसर्च में पाया कि स्तनपान कराने से शिशु और माँ दोनो को स्वास्थ्य लाभ मिलता है और माँ का प्रथम दूध बच्चे के लिए सबसे जरूरी है ।भारतीय कल्चर में स्तनपान 16 संस्कारो में एक मुख्य भी कर्म है ।।
#स्तनपान_माँ_को_लाभ -
स्तनपान, प्रसवोत्तर के बाद वजन को कम रखने में मदद करता है। जैसे ही मां बच्चो को स्तनपान करवाने लगती है, जिससे उनके शरीर में खिंचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण उनका वजन कम होने लगता है। एक बच्चे को स्तनपान कराते समय, एक माँ को दैनिक रूप से अतिरिक्त 400 से 500 कैलोरी की जरूरत होती है। लेकिन स्तनपान के समय, एक ही समय में, 500 कैलोरी एक दिन में ख़र्च हो जाती है। क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अमेरिकन जर्नल 2008 में प्रकाशित एक अध्ययन से निष्कर्ष निकाला है कि जिन महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में वजन बढ़ जाता है वो प्रसव के छह महीने बाद तक स्तनपान कराने से अतिरिक्त वजन को कम कर सकती है। जिन माताओं को मधुमेह नहीं है, स्तनपान कराने से उनके जीवन में मधुमेह का खतरा भी कम हो जाता है, जबकि मधुमेह के साथ माताओं को इंसुलिन के लिए उनकी आवश्यकता को कम और नियंत्रण में सुधार कर सकते हैं।मधुमेह समीक्षा की 2011 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, स्तनपान भविष्य में दोनों टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के विकास के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
#स्तनपान_बच्चे_को_लाभ -
मां के दूध में प्रोटीन, वसा, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट का सही संयोजन होता है जो आपके बच्चे के विकास में मदद करते हैं। मां के दूध में मौजूद प्रोटीन आसानी से पच जाता है और इसमें संक्रमण-सुरक्षा के गुण होते हैं। मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। माँ का दूध प्राकृतिक रूप से शिशु वृद्धि के लिए आवश्यक सभी घटकों से परिपूर्ण होता है। इसलिए यह आपके शिशु के जीवन के लिए जरूरी है। मां के दूध में कैल्शियम और लोहा होता है जो शिशु के द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिए जाते हैं, जो स्वस्थ हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा, मां के दूध में स्वस्थ वसा शामिल हैं जो कि मस्तिष्क, रेटिना और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए आवश्यक है।लैक्टोज, कार्बोहाइड्रेट भी मां के दूध में पाया जाता है, जो शिशुओं में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य खनिजों के अवशोषण से आंतों में सुधार लाता हैं।एक महीनें से एक साल की उम्र में शिशु में SIDS (अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण) का खतरा रहता है। कम से कम छह महीनो के लिए अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल करना अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) को रोकने में मदद कर सकता है, क्योंकि मां का दूध शिशु को इस ख़तरे से बचाता है।
बाल रोग के जर्नल में प्रकाशित 2009 के एक अध्ययन की रिपोर्ट है कि स्तनपान करने से 50 प्रतिशत तक SIDS का जोखिम को कम हो जाता है। स्तनपान अधिक आसानी से शिशुओं को नींद से जगा देता है, जो बदले में SIDS के खिलाफ शिशु की रक्षा करता हैं। इसके अलावा, प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में सहायता करता है।
#विशेष -
बाल चिकित्सा और बाल स्वास्थ्य के जर्नल 2008 में प्रकाशित अध्ययन में पाया है कि स्तनपान पीडियाट्रिक कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए पूर्ण रूप से स्तनपान करने से इससे बचाव किया जा सकता है। मानव स्तनपान के जर्नल 2012 में प्रकाशित अध्ययन में पाया है कि मानव दूध में लिम्फोब्लासटिक ल्यूकेमिया(lymphoblastic leukemia) जैसे रोग के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए TRAIL नामक प्रोटीन पाया जाता है। एक्टा पएडियट्रिका 2015 में प्रकाशित ताजा अध्ययन में पाया गया है कि माताओं के लिए अधिक से अधिक 12 महीनों के लिए स्तनपान कराना स्तन या गर्भाशय के विकास के साथ जुड़े जोखिम को कम करता है। इससे महिलाओं में स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कम होता है। मां के दूध में फैटी एसिड और DHA होता है जो बच्चो में उच्च एकाग्रता और बेहतर दृष्टि के पीछे का कारण है। DHA आंख की रेटिना के मुख्य संरचनात्मक घटकों में से एक है। इसके अलावा, मां का दूध नेत्र संक्रमण का मुकाबला करने के लिए अच्छा है। इसके प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
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