आशीर्वाद का महत्व !!!!!




आज कल प्रायः युवा लोग हाय या हैल्लो शब्द का ज्यादा प्रयोग करते है , अंग्रेजी बोलकर सोचते है ये उनकी शान है लेकिन वास्तव में वे अपनी भारतीय संस्कृति को भूल गए है ऐसे लोग।

पहले लोग दण्डवत प्रणाम करते थे आज भी गुरुकुल आदि संस्थानों में देखने को मिलता है , दोनों हाँथ से माता-पिता , गुरुजनो और अपने से बड़ो का पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे , प्रायः ऋषि मुनियों, विद्वानों तथा वरिष्ठजनों का जीवन समष्टि के लिए समर्पित होता है। वे परोपकारी सहृदय, विनयशील एवं सत्यवादी होते है। उनके वचनों में इतना बल होता है कि उनके कथन के अनुसार ही कार्य में सफलता मिल जाती है ,

भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर प्रणाम को अभिवादन सूचक माना जाता है ! अच्छे जीवन की प्राप्ति हेतु विभिन्न संस्कारों की भूमिका अतुलनीय होती है ! हमारी भारतीय संस्कृति में जन्म से मृत्यु तक संस्कारों की अमृत धारा प्रवाहित होती रहती है !

अच्छे संस्कार व्यक्ति को यशश्वी , उर्जावान व् गुणवान बनाते हैं ! संस्कार देश की परिधि निर्धारित करती है ! इसीलिए समाज के सभी सदस्यों को संस्कारों की मान गरिमा बनाये रखने हेतु सजग रहना चाहिए !

बच्चों को समझाएं कि जो अपनत्व प्रणाम में है वह हाथ मिलाने के आधुनिक व्यवहार में नहीं होता ! पाश्चात्य संस्कृति का दुरूपयोग करने के नकरात्मक प्रभाव आते है , व् स्वास्थ्य के लिए भी खतरा साबित हो सकते हैं !

हेल्लो , हाय , बाय व् हाथ मिलाने से उर्जा प्राप्त नहीं होती ! हमारी आज की युवा पीढ़ी अपनी स्वस्थ परम्परा को ठुकराकर अपने लिए उन्नति के द्वार स्वय बंद कर रहे है ! हाथ मिलाने से बचें , दोनों हाथ जोड़कर या पाँव पर झुक कर अभिवादन की आदत डालें , और हाथ मिलाना से जहाँ तक हो सके बचे क्यूंकि यह स्वास्थ्य के मार्ग में और अध्यात्मिक उत्थान के मार्ग में अवरोधक हैं !

अच्छे संस्कारों में सर्वप्रथम बच्चों को बडो का सम्मान करना सिखाईये ! बच्चों को प्रणाम का महत्व समझाईये ! बच्चों के जीवन की सम्पनता प्रणाम में ही संचित होती है ! जो बच्चे नित्य बडो को , वृद्ध जनों को , व् गुरुजनों को प्रणाम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं , उसकी आयु , विद्या , यश और बल सभी साथ साथ बढ़ते हैं ! हमारे कर्म और व्यवहार ऐसे होने चाहिए कि बड़ों के ह्रदय से हमारे लिए आशीर्वाद निकले , और हमारे व्यवहार से किसी के ह्रदय को ठेश न पहुंचे ! प्रणाम करने से हमारे समूचे भावनात्मक और वैचारिक मनोभावों पर प्रभाव पड़ता है जिससे सकरात्मक बढती है ! आयें अपने बच्चों को सही मार्ग दर्शन दें !

ईश्वर मानव के लिए अपने आशीर्वादों का खजाना मुट्ठी खोल कर लुटाता है , ताकि मानव उसे हर पल लूट सके। लेकिन यह एक ऐसा खजाना है , जिसको पाकर मानव कभी सन्तुष्ट नहीं होता , उसकी तृष्णा बढ़ती ही जाती है। यह तृष्णा तभी पूरी हो सकती है , जब वह प्रभु के प्रेम में मग्न रहते हुए अपना जीवन यापन करना सीख ले।

हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि प्रभु ने हमें अपने आशीर्वाद स्वरूप इस संसार में भेजा। उसने हमें सुंदर शरीर रूपी एक ऐसा भवन दिया , जिसमें स्थित आत्मा रूपी मंदिर में उसने अपना निवास बनाया। उस मंदिर को सजाने-संवारने के लिए मनुष्य को सोचने-समझने की शक्ति दी , ताकि जहाँ तक संभव हो सके , मनुष्य स्वयं को विषय-वासनाओं से दूर रखते हुए , अहंकार से मुक्त रहते हुए प्रभु का स्मरण कर सके।

हम इस जीवन के प्रत्येक पल के रूप में मिले आशीर्वाद का फल तो खाना चाहते हैं , पर यह नहीं समझते कि फल हमेशा झुकती डाली पर ही लगते हैं। इसलिए हम सभी को अहंकार से नहीं , नम्र रहकर जीवन गुजारना होगा। अत्याचार , स्वार्थ , बल प्रयोग , दूसरों के अधिकारों को छीनने की कोशिश जैसे दोष इस ईश्वरीय आशीर्वाद की सुंदरता को नष्ट कर देते हैं। हमें इस अज्ञान और अंधकार से मुक्त होकर आदर्श गुणों और आध्यात्मिक विशेषताओं के साथ दयालु भावनाओं का उद्गम बनकर जीना सीखना होगा। ऐसे ही जीवन के लिए बहाई लेखनी में कहा गया है

आशीर्वाद लेने का आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण है ,यह एक योगासन की तरह है ! जब भी हम योगासन करते है तो हमारे शारीर में विद्युत् चुम्बकीये उर्जा का प्रवाह होता है और ये उर्जा हमारे शारीर में एक चक्र का निर्माण करती है! आप किसी भी आसन को कीजिये सभी में विद्युत् चुम्बकीये उर्जा के चक्र का प्रवाह होता है !

इसलिए हमें योगासन करते वक्त कुचालक बस्त्र का उपयोग करना चाहिए ताकि ये अर्थ के संपर्क में न आने पाए ,हम जानते है कि उम्रके साथ-साथ शारीर की उर्जा का भी विकास होता है और यही उर्जा हमारे शारीर और मस्तिष्क का सञ्चालन करती है!

जब हम किसी अपने से बड़े के पैर छूते हैतो हम अपने हाथ उसके पैरों पर रखते है औरवो अपना हाथ हमारे सर पे रखते है,इस तरह विद्युत् चुम्बकीये उर्जा का चक्र बन जाता है और उनकी उर्जा हमारे अन्दर प्रवाहित होने लगती है ! इस तरह आशीर्वाद लेने से आपके शरीर में एक धनात्मक उर्जा का प्रवाह होने लगता है ! इसीलिए हमें बड़ों के पैरों को छूना चाहिए !

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