एक दूजे के लिए
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4 दिनों की लंबी छुट्टियां पल्लवी को 4 युगों के समान लग रही थीं. पहला दिन घर के कामकाज में निकल गया. दूसरा दिन आराम करने और घर के लिए जरूरी सामान खरीदने में बीत गया. लेकिन आज सुबह से ही पल्लवी को बड़ा खालीपन लग रहा था. खालीपन तो वह कई महीनों से महसूस करती आ रही थी, लेकिन आज तो सुबह से ही वह खासी बोरियत महसूस कर रही थी.
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बाई खाना बना कर जा चुकी थी. सुबह के 11 ही बजे थे पल्लवी का नहाना धोना, नाश्ता भी हो चुका था. झाड़ूपोंछा और कपड़े धोने वाली बाइयां भी अपना अपना काम कर के जा चुकी थीं. यानी अब दिन भर न किसी का आना या जाना नहीं होना था.
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टीवी से भी बोर हो कर पल्लवी ने टीवी बंद कर दिया.
पिछले 4 साल से घर में अकेली ही रह रही थी। माँ बाप भाई बहिन और पति सब कोई साथ छोड़ गए थे ,,, थी तो उसके साथ उसकी महत्वकांक्षाये , उसका अहम , ऐसा अहम जो स्वाभिमान का विकृत रूप बन गया था। आज बोरियत से टालने के लिए अपनी प्यारी सहेली अंजलि को फ़ोन किया ,, "हे अंजलि चल ना मूवी देखने चलते है ? ,, नहीं यार आज पीहू की तबियत ठीक नहीं है। हिम्मत करके मूवी
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अकेले देखने गयी तो देखा अंजलि अपने पति के साथ मूवी देखने आयी हुई थी ,, पीहू चहक रही थी। दिल पर लगी बात अंजलि की ,,, जब जाना ही था मुझे मना क्यों किया ? मन ही मन सोचा पल्लवी ने।
इसी तरह उसकी सारी सहेलिया उस से कन्नी काटने लगी थी ,, जो कभी उसके इर्द गिर्द मंडराती रहती थी। भौरे जब तक पास रहते है जब तक फूल में रस उपलब्ध होता है। सभी सहेलिया किसी न किसी बात पर मिलने से अवॉयड करने लग गयी थी। जब से पल्लवी ने सुमित से तलाक लिया था... शुरू शुरू में उसे आजादी महसूस हुई ,, लेकिन 1 साल बाद अकेलापन खाने को दौड़ता ,, सब भाई बहिन ,, माँ बाप सभी ने उस से रिश्ता तोड़ दिया था। पल्लवी ने किसी की सुनी भी कहाँ थी ,, सबने बहुत समझाया ,, सुमित अच्छा लड़का है तुमसे बहुत प्यार करता है।
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लेकिन स्वाभिमान और अहंकार के बीच महीन दीवार होती है ,, इंसान कब उस दीवार को लांघ जाता है पता नहीं चलता। और अक्सर लांघने वाले गिर कर चोट खाते है। यही पल्लवी के साथ हुआ ,, अच्छे घर से आयी ,, पढ़ी लिखी मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के तौर पर कार्यरत थी। सुमित उसका पति बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर था। ज्यादा पढाई भी कभी कभार मूल संस्कार नष्ट कर देती है ,, सुमित और उसके परिवार की दिली इच्छा एक बच्चे की थी तो क्या गलत थी?
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ऑफिस में सहेलिया उसको भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी ,, "रहने दे पल्लवी , अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है ? अभी बच्चा पैदा करेगी तो फिगर खराब हो जायेगा। हर पति की कुछ छोटी छोटी अपेक्षाएं होती है ,, सुमित को भी रहती थी जैसे कभी पकोड़े खाने का मन होता था। कभी शर्ट का बटन टूट जाता उसको टांकने को कहता। एक दिन जब सुमित ने बाजार से ताजा टिंडे ला कर अपने हाथ के मसाले वाले भरवां टिंडे बनाने का अनुरोध किया, तो पल्लवी बुरी तरह बिफर गई कि वह अभी औफिस से थकीमांदी आई है और सुमित उस से चूल्हे-चौके का काम करने को कह रहा है. उस दिन पल्लवी ने न सिर्फ सुमित को बहुत कुछ उलटासीधा कहा, बल्कि साफसाफ यह भी कह दिया कि वह अब और अधिक उस की गुलामी नहीं करेगी. आखिर वह भी इंसान है, कोई खरीदी हुई बांदी नहीं है कि जबतब सिर झुका कर उस का हुकुम बजाती रहे. उसे इस गुलामी से छुटकारा चाहिए.
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सुमित सन्न सा खड़ा रह गया. एक छोटी सी बात इतना बड़ा मुद्दा बनेगी, यह तो उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. इस के बाद वह बारबार माफी मांगता रहा, पर पल्लवी न मानी ,, हर बार उसको जवाब ना में ही मिलता ,, सुमित के माता पिता तो अपने कसबे में ही रहते थे। 2 जीव भी एक छत के नीचे प्रेम से निर्वाह न कर सके तो बड़ी विडंबना है।
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पल्लवी की सखिया श्वेता , पूनम ,,अंजलि और प्रेरणा ,, सभी शादी शुदा थी बाल बच्चे दार थी... मगर किसी के घर में झगडे नहीं थे ,, सब की सब स्वार्थी सिर्फ उसका फायदा उठाती थी। उसके पैसे चाहिए होते थे ,, उनसे मस्ती करती थी सब। पल्लवी की मम्मी पापा ने बहुत समझाया बेटा ,, अभी भी वक़्त है सुधर जाओ ,, लेकिन पल्लवी पर सखियों का गहरा रंग चढ़ा था। 2 साल गुजर गए शादी को ,, छोटी छोटी बात पर झगडे होने लगे। सुमित बहुत प्यार करता था हर चीज बर्दाश्त कर जाता था। काम में बहुत मदद कर देता था ,, लेकिन जब अहम सर से ऊपर चला जाता है ,, तो विनाश काले विपरीत बुद्धि।
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आखिर पल्ल्वी ने अपने पति से छुटकारा लेने का फैसला किया ,, सुमित ने पल्लवी की ख़ुशी के लिए चुप चाप कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए। पल्लवी बड़ी खुश थी आजादी मिल गयी थी सब से,, अलग फ्लैट लेकर अकेली रहने लगी। शुरू में बहुत खुश थी लेकिन धीरे धीरे तन्हाई ने घेरे डालने शुरू कर दिए। पति नाम का सुरक्षा कवच नारी को भेडियो से बचाता है। ऑफिस में मोहल्ले में जब से लोगों को पता लगा,, अकेली औरत रहती है तो बदजात मर्द सूंघते मिल जाते थे। हर कोई खुली तिजोरी लूटने को त्यार रहता है
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धीरे धीरे उसकी सहेलिया भी कन्नी काटने लगी ,, उनको यह भय सताता कहीं हमारे पतियों को ना फसा ले। जिसको भी मिलने के लिए बुलाती वही कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल जाती थी। कभी बच्चो का कभी पति का बहाना लगाकर सब पीछे हट जाती।
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4 साल गुजर गए आज बिलकुल अकेली तन्हाई में रोती पल्लवी ,, "काश सुमित मेने तुम्हे समझा होता ,, काश में सहेलियों की बातो में न आयी होती। काश माँ बाप की बात सुनी होती। पिछली जिंदगी को याद कर कर के सुबक सुबक कर रोने लगी ,, आज उसे किसी काँधे की जरुरत थी ,, जो उसके पास नहीं था।
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एक दिन पल्ल्वी ऑफिस जा रही थी उसको पूर्णिमा मिली जो सुमित की दफ्तर में काम करती थी ,, जिसको लेकर भी पल्लवी और उसकी सहेलियों ने शक जताया था। जबकि दोनों के बीच कुछ रिश्ता नहीं था ,, लेकिन तलाक के बाद सुमित और पूर्णिमा दोस्त बन गए थे। उसे सुमित के दिल के हाल पता थे
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"आओ पूर्णिमा कैसी हो ? " में अच्छी हूँ आप कैसी हो ? चलो कही कैफ़े में बैठते है ,,, पल्लवी ने कहा। "कैसी हो पल्ल्वी ? सुमित के बिना कैसी कट रही है ,, दोबारा शादी की ? सब बाते सुनते सुनते पल्ल्वी अचानक फफक फफक कर रो पड़ी। "मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई ,,सहेलियों के भड़कावे में आकर मेने सुमित से तलाक लेकर बहुत बड़ी गलती की। बरसो से रुका हुआ सैलाब आज बह निकला ,, पूर्णिमा ने हाथ पकड़ते हुए कहा ,, पललवी हौसला रखो तुम बहादुर हो।
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सुमित के क्या हाल है ? पल्लवी ने आंसू पोंछते हुए पूछा। ठीक है बस ज़िंदा है,, आज भी तुम्हारी याद में सुलग रहा है ,, ऐसा सुलग रहा है ना धुआं ना राख।
पूर्णिमा की भी आँखे नाम हो आयी ,,, पल्लवी तुम ही पहला और आखिरी प्यार हो उसका। आज भी उसने शादी नहीं की ,, अगर तुम कहो तो में उस से बात करू ? नहीं में खुद ही जाउंगी।
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उसी दिन शाम को पल्लवी ने घंटी बजाई ,, अंदर से सुमित निकल कर आया। कितनी देर तक दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर अश्रुधारा प्रवाहित करते रहे। जब थोड़ा सम्भले तब " अंदर आने के लिए नहीं कहोगे ? "आ जाओ तुम ही छोड़ कर गयी थी ,, मेने तुम्हे जाने को कभी नहीं कहा। कान पकड़ते हुए पल्ल्वी में माफ़ी मांगी ,, "मुझे माफ़ करदो सुमित " रोते रोते सुमित ने बाहें फैलाई ,, पल्लवी अपने साजन की बाहों में समां गयी। सुमित ने उसे कस कर अपने बाहुपाश में बांध लिया. दोनों देर तक आंसू बहाते रहे. मनों का मैल और 4 सालों की दूरियां आंसुओं से धुल गईं.
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खाना खाकर दोनों बात करते रहे ,, अच्छा सो जाओ पल्लवी तुम्हे सुबह ऑफिस के लिए निकलना है। "मेने नौकरी छोड़ दी है" क्यों,, अब मुझे तुम्हारे बच्चो की परवरिश करनी है ,, शरमाते हुए सुमित की बाहों में समां गयी,, सुमित हंस पड़ा. फिर दोनों एकदूसरे की बांहों में खोए हुए अपने कमरे की ओर चल पड़े.
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4 दिनों की लंबी छुट्टियां पल्लवी को 4 युगों के समान लग रही थीं. पहला दिन घर के कामकाज में निकल गया. दूसरा दिन आराम करने और घर के लिए जरूरी सामान खरीदने में बीत गया. लेकिन आज सुबह से ही पल्लवी को बड़ा खालीपन लग रहा था. खालीपन तो वह कई महीनों से महसूस करती आ रही थी, लेकिन आज तो सुबह से ही वह खासी बोरियत महसूस कर रही थी.
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बाई खाना बना कर जा चुकी थी. सुबह के 11 ही बजे थे पल्लवी का नहाना धोना, नाश्ता भी हो चुका था. झाड़ूपोंछा और कपड़े धोने वाली बाइयां भी अपना अपना काम कर के जा चुकी थीं. यानी अब दिन भर न किसी का आना या जाना नहीं होना था.
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टीवी से भी बोर हो कर पल्लवी ने टीवी बंद कर दिया.
पिछले 4 साल से घर में अकेली ही रह रही थी। माँ बाप भाई बहिन और पति सब कोई साथ छोड़ गए थे ,,, थी तो उसके साथ उसकी महत्वकांक्षाये , उसका अहम , ऐसा अहम जो स्वाभिमान का विकृत रूप बन गया था। आज बोरियत से टालने के लिए अपनी प्यारी सहेली अंजलि को फ़ोन किया ,, "हे अंजलि चल ना मूवी देखने चलते है ? ,, नहीं यार आज पीहू की तबियत ठीक नहीं है। हिम्मत करके मूवी
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अकेले देखने गयी तो देखा अंजलि अपने पति के साथ मूवी देखने आयी हुई थी ,, पीहू चहक रही थी। दिल पर लगी बात अंजलि की ,,, जब जाना ही था मुझे मना क्यों किया ? मन ही मन सोचा पल्लवी ने।
इसी तरह उसकी सारी सहेलिया उस से कन्नी काटने लगी थी ,, जो कभी उसके इर्द गिर्द मंडराती रहती थी। भौरे जब तक पास रहते है जब तक फूल में रस उपलब्ध होता है। सभी सहेलिया किसी न किसी बात पर मिलने से अवॉयड करने लग गयी थी। जब से पल्लवी ने सुमित से तलाक लिया था... शुरू शुरू में उसे आजादी महसूस हुई ,, लेकिन 1 साल बाद अकेलापन खाने को दौड़ता ,, सब भाई बहिन ,, माँ बाप सभी ने उस से रिश्ता तोड़ दिया था। पल्लवी ने किसी की सुनी भी कहाँ थी ,, सबने बहुत समझाया ,, सुमित अच्छा लड़का है तुमसे बहुत प्यार करता है।
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लेकिन स्वाभिमान और अहंकार के बीच महीन दीवार होती है ,, इंसान कब उस दीवार को लांघ जाता है पता नहीं चलता। और अक्सर लांघने वाले गिर कर चोट खाते है। यही पल्लवी के साथ हुआ ,, अच्छे घर से आयी ,, पढ़ी लिखी मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के तौर पर कार्यरत थी। सुमित उसका पति बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर था। ज्यादा पढाई भी कभी कभार मूल संस्कार नष्ट कर देती है ,, सुमित और उसके परिवार की दिली इच्छा एक बच्चे की थी तो क्या गलत थी?
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ऑफिस में सहेलिया उसको भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी ,, "रहने दे पल्लवी , अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है ? अभी बच्चा पैदा करेगी तो फिगर खराब हो जायेगा। हर पति की कुछ छोटी छोटी अपेक्षाएं होती है ,, सुमित को भी रहती थी जैसे कभी पकोड़े खाने का मन होता था। कभी शर्ट का बटन टूट जाता उसको टांकने को कहता। एक दिन जब सुमित ने बाजार से ताजा टिंडे ला कर अपने हाथ के मसाले वाले भरवां टिंडे बनाने का अनुरोध किया, तो पल्लवी बुरी तरह बिफर गई कि वह अभी औफिस से थकीमांदी आई है और सुमित उस से चूल्हे-चौके का काम करने को कह रहा है. उस दिन पल्लवी ने न सिर्फ सुमित को बहुत कुछ उलटासीधा कहा, बल्कि साफसाफ यह भी कह दिया कि वह अब और अधिक उस की गुलामी नहीं करेगी. आखिर वह भी इंसान है, कोई खरीदी हुई बांदी नहीं है कि जबतब सिर झुका कर उस का हुकुम बजाती रहे. उसे इस गुलामी से छुटकारा चाहिए.
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सुमित सन्न सा खड़ा रह गया. एक छोटी सी बात इतना बड़ा मुद्दा बनेगी, यह तो उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. इस के बाद वह बारबार माफी मांगता रहा, पर पल्लवी न मानी ,, हर बार उसको जवाब ना में ही मिलता ,, सुमित के माता पिता तो अपने कसबे में ही रहते थे। 2 जीव भी एक छत के नीचे प्रेम से निर्वाह न कर सके तो बड़ी विडंबना है।
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पल्लवी की सखिया श्वेता , पूनम ,,अंजलि और प्रेरणा ,, सभी शादी शुदा थी बाल बच्चे दार थी... मगर किसी के घर में झगडे नहीं थे ,, सब की सब स्वार्थी सिर्फ उसका फायदा उठाती थी। उसके पैसे चाहिए होते थे ,, उनसे मस्ती करती थी सब। पल्लवी की मम्मी पापा ने बहुत समझाया बेटा ,, अभी भी वक़्त है सुधर जाओ ,, लेकिन पल्लवी पर सखियों का गहरा रंग चढ़ा था। 2 साल गुजर गए शादी को ,, छोटी छोटी बात पर झगडे होने लगे। सुमित बहुत प्यार करता था हर चीज बर्दाश्त कर जाता था। काम में बहुत मदद कर देता था ,, लेकिन जब अहम सर से ऊपर चला जाता है ,, तो विनाश काले विपरीत बुद्धि।
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आखिर पल्ल्वी ने अपने पति से छुटकारा लेने का फैसला किया ,, सुमित ने पल्लवी की ख़ुशी के लिए चुप चाप कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए। पल्लवी बड़ी खुश थी आजादी मिल गयी थी सब से,, अलग फ्लैट लेकर अकेली रहने लगी। शुरू में बहुत खुश थी लेकिन धीरे धीरे तन्हाई ने घेरे डालने शुरू कर दिए। पति नाम का सुरक्षा कवच नारी को भेडियो से बचाता है। ऑफिस में मोहल्ले में जब से लोगों को पता लगा,, अकेली औरत रहती है तो बदजात मर्द सूंघते मिल जाते थे। हर कोई खुली तिजोरी लूटने को त्यार रहता है
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धीरे धीरे उसकी सहेलिया भी कन्नी काटने लगी ,, उनको यह भय सताता कहीं हमारे पतियों को ना फसा ले। जिसको भी मिलने के लिए बुलाती वही कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल जाती थी। कभी बच्चो का कभी पति का बहाना लगाकर सब पीछे हट जाती।
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4 साल गुजर गए आज बिलकुल अकेली तन्हाई में रोती पल्लवी ,, "काश सुमित मेने तुम्हे समझा होता ,, काश में सहेलियों की बातो में न आयी होती। काश माँ बाप की बात सुनी होती। पिछली जिंदगी को याद कर कर के सुबक सुबक कर रोने लगी ,, आज उसे किसी काँधे की जरुरत थी ,, जो उसके पास नहीं था।
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एक दिन पल्ल्वी ऑफिस जा रही थी उसको पूर्णिमा मिली जो सुमित की दफ्तर में काम करती थी ,, जिसको लेकर भी पल्लवी और उसकी सहेलियों ने शक जताया था। जबकि दोनों के बीच कुछ रिश्ता नहीं था ,, लेकिन तलाक के बाद सुमित और पूर्णिमा दोस्त बन गए थे। उसे सुमित के दिल के हाल पता थे
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"आओ पूर्णिमा कैसी हो ? " में अच्छी हूँ आप कैसी हो ? चलो कही कैफ़े में बैठते है ,,, पल्लवी ने कहा। "कैसी हो पल्ल्वी ? सुमित के बिना कैसी कट रही है ,, दोबारा शादी की ? सब बाते सुनते सुनते पल्ल्वी अचानक फफक फफक कर रो पड़ी। "मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई ,,सहेलियों के भड़कावे में आकर मेने सुमित से तलाक लेकर बहुत बड़ी गलती की। बरसो से रुका हुआ सैलाब आज बह निकला ,, पूर्णिमा ने हाथ पकड़ते हुए कहा ,, पललवी हौसला रखो तुम बहादुर हो।
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सुमित के क्या हाल है ? पल्लवी ने आंसू पोंछते हुए पूछा। ठीक है बस ज़िंदा है,, आज भी तुम्हारी याद में सुलग रहा है ,, ऐसा सुलग रहा है ना धुआं ना राख।
पूर्णिमा की भी आँखे नाम हो आयी ,,, पल्लवी तुम ही पहला और आखिरी प्यार हो उसका। आज भी उसने शादी नहीं की ,, अगर तुम कहो तो में उस से बात करू ? नहीं में खुद ही जाउंगी।
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उसी दिन शाम को पल्लवी ने घंटी बजाई ,, अंदर से सुमित निकल कर आया। कितनी देर तक दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर अश्रुधारा प्रवाहित करते रहे। जब थोड़ा सम्भले तब " अंदर आने के लिए नहीं कहोगे ? "आ जाओ तुम ही छोड़ कर गयी थी ,, मेने तुम्हे जाने को कभी नहीं कहा। कान पकड़ते हुए पल्ल्वी में माफ़ी मांगी ,, "मुझे माफ़ करदो सुमित " रोते रोते सुमित ने बाहें फैलाई ,, पल्लवी अपने साजन की बाहों में समां गयी। सुमित ने उसे कस कर अपने बाहुपाश में बांध लिया. दोनों देर तक आंसू बहाते रहे. मनों का मैल और 4 सालों की दूरियां आंसुओं से धुल गईं.
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खाना खाकर दोनों बात करते रहे ,, अच्छा सो जाओ पल्लवी तुम्हे सुबह ऑफिस के लिए निकलना है। "मेने नौकरी छोड़ दी है" क्यों,, अब मुझे तुम्हारे बच्चो की परवरिश करनी है ,, शरमाते हुए सुमित की बाहों में समां गयी,, सुमित हंस पड़ा. फिर दोनों एकदूसरे की बांहों में खोए हुए अपने कमरे की ओर चल पड़े.
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