सभी पुण्यात्माओं को नमस्कार,जय श्री कृष्णा


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" अच्छे अच्छे महलों मे एक दिन कबूतर अपना घोसला बना लेते है .........सेठ घनश्याम की जायदाद और ज़मीन का बँटवारा को लेकर उस के दोनो बेटे मरने मारने पर उतारू हो चले थे तो पिताजी ने कहा इस छोटे से ज़मीन के टुकडे के लिये इतना लड़ रहे हो छोड़ो इसे आओ मेरे साथ एक अनमोल खजाना बताता हूँ मैं तुम्हे !
देखो यदि तुम आपस मे लड़े तो फिर मैं तुम्हे उस खजाने तक नही लेकर जाऊँगा और बीच रास्ते से ही लौटकर आ जाऊँगा !
अब दोनो पुत्रों ने खजाने के चक्कर मे एक समझौता किया की चाहे कुछ भी हो जाये पर हम लड़ेंगे नही प्रेम से यात्रा पे चलेंगे !
गाँव के लिये बस में सीट दो की मिली पर वो तीन थे अब पिताजी के साथ थोड़ी देर पवन बैठे तो थोड़ी देर मदन ऐसे चलते चलते लगभग दस घण्टे का सफर तय किया।
घनश्याम दोनो पुत्रों को लेकर एक बहुत बड़ी हवेली पर गये। घनश्याम ने जब देखा .... सुनसान हवेली मे जगह जगह कबूतरों ने अपना घोसला बना रखा है ।
घनश्याम वही पर बैठकर रोने लगे और रोते हुये उस वृद्ध पिता ने कहा..... पुत्र इस हवेली के लिये मैं अपने भाई से बहुत लड़ा था और ये हवेली तो मुझे मिल गई पर मैंने अपने भाई को हमेशा के लिये खो दिया था और फिर वक्त्त बदला और एक दिन हमें भी ये हवेली छोड़कर जाना पड़ा !
अच्छा बताओ.... . जिस सीट पर हम बैठकर आये थे क्या वो सीट हमेशा हमेशा के लिये हमारी हो सकती है ।
तो दोनो पुत्रों ने एक साथ कहा ..... बस की यात्रा चलती रहती है और उस सीट पर सवारियां बदलती रहती है पहले कोई और था आज कोई और बैठा होगा और पता नही कल कौन बैठेगा और वैसे भी उस सीट मे क्या धरा है जो थोड़ी सी देर के लिये हमारी है !
पिताजी हँसे फिर रोये और फिर बोले..... देखो यही तो मैं तुम्हे समझा रहा हूँ की जो थोड़ी देर के लिये तुम्हारा है तुमसे पहले उसका मालिक कोई ओर था बस थोड़ी सी देर के लिये तुम हो और थोड़ी देर बाद कोई और हो जायेगा।
बस बेटा एक बात ध्यान रखना की इस थोड़ी सी देर के लिये कही अनमोल रिश्तों की आहुति न दे देना।
यदि कोई प्रलोभन आये तो इस घर की इस स्थिति को देख लेना की अच्छे अच्छे महलों मे एक दिन कबूतर अपना घोसला बना लेते है।
बस बेटा बस की उस सीट को याद कर लेना की रोज उसकी सवारियां बदलती रहती है उस सीट के खातिर अनमोल रिश्तों की आहुति न दे देना जिस तरह से बस की यात्रा मे तालमेल बिठाया था बस वैसे ही जीवन की यात्रा मे भी तालमेल बिठा लेना !
फिर दोनो पुत्र पिताजी के चरणों मे गिरकर रोने लगे !
शिक्षा :-
मित्रों,जो कुछ भी ऐश्वर्य - सम्पदा हमारे पास है वो सबकुछ बस थोड़ी देर के लिये ही है थोड़ी थोड़ी देर मे यात्री भी बदल जाते है और मालिक भी और रिश्तें
बड़े अनमोल होते है छोटे से ऐश्वर्य या सम्पदा के चक्कर मे कही किसी अनमोल रिश्तें को खो न देना !
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