आज अफगानिस्तान में जो मारकाट मची है कहीं यह इस्लाम को बाकी दुनिया में फैलाने का एक नए तरीके का षडयंत्र तो नहीं है...? हम सबने ध्यान दिया होगा कि पिछले चालीस पचास सालों में इस्लामी देशों में आपसी मारकाट कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है और इससे शरणार्थियों की संख्या भी बढ़ी है... चाहे फ़िलीस्तीन हो, चाहे बेरूत हो, चाहे सीरिया हो, चाहे कुर्द हों, चाहे इराक़ हो, चाहे लीबिया हो, चाहे अल्जीरिया हो और चाहे हमारा पड़ोसी बर्मा और बांग्लादेश हों... हर जगह आपसी मारकाट, गृह युद्ध या अन्य कारणों से लाखों मुसलमान विस्थापित होते हैं... मगर ये जाते कहां हैं...? ये लोग शरण लेने के लिए किसी मुस्लिम देश में नहीं जाते हैं... अरब तो छोड़िए ये लोग मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे गैर अरब देशों में भी नहीं जाते हैं और कोई मुस्लिम देश इनको अपने पास लेता भी नहीं... लेना तो दूर कोई मुस्लिम देश इनके बारे में कोई बयान भी नहीं देता जैसे उसे मालूम है कि इनको क्या करना और वह देश भी इस एजेंडे का एक भाग है... ये विस्थापित शरणार्थी जाते हैं यूरोप, अमेरिका और भारत क्योंकि यहां उन्हें शरण भी मिलती है और अपनी तादात बढ़ाने के लिए भरपूर अवसर भी... दस बीस साल के बाद अपना एक इलाक़ा बनाते हैं, बाकियों को भगा देते हैं और फिर धीरे धीरे एक अलग देश बनाते हैं... आखिर दुनिया में 60 मुस्लिम देश परमार्थ या सत्संग करके तो बने नहीं... इस्लाम के फैलने में भय और हिंसा का सबसे अधिक योगदान रहा है... आपने कभी देखा है कि कोई इस्लामी धर्म गुरु हिन्दुओं की तरह हिमालय में जाकर tapasya किया हो और अपनी आध्यात्मिक योग्यता के आधार पर लोगों को अपना मुरीद बनाया हो... या फिर ईसाइयों की तरह स्कुल और अस्पताल खोल कर सेवा करके अपना धर्म बढ़ाया हो... वो नहीं करेगा क्योंकि आसान तरीका मौजूद है... दो लोगों की गर्दन उतार दो बाकी वैसे हीं बोल देंगे कि कबूल है... कबूल है... कबूल है...
तो मित्रों ये शरणार्थी बन कर फैलना और देशों पर कब्जा करना एक नई रणनीति है और इससे सतर्क रहने की जरूरत है... इनको भारत में शरण देने के किसी भी प्रयास और एजेंडे का विरोध होना चाहिए...
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