वास्तु शास्त्र शास्त्रों के अनुसार कौड़ी के विषय में यह मान्यता है कि लक्ष्मी और कौड़ी दोनों सगी बहने है।

कौड़ी धारणकर्ता की माँ के रूप में रक्षा करती है। बुरी नजर व संकटो से बचाने की इसमे अदभुत क्षमता होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण करते समय छत पर पहले कौड़ी डाली जाती है। फिर दरवाजे की चौखट के साथ भी सबसे पहले कौड़ियाँ ही बाँधी जाती है।

कौड़ी विश्वास का प्रतीक है और इसकी अनेक धार्मिक मान्यताएं भी है।

छोटे बच्चों के कंठुले में कौड़ी बांधी जाती है ताकि उसे नजर ना लगे।
विवाह के समय वर तथा वधु के हाथ में जो कंकण बांधे जाते है, कौड़ी उसमे अवश्य होती है।
भारत के दक्षिण क्षेत्रों में विवाह के समय जो संदूक दिया जाता है उसमे एक कौड़ी अवश्य डाली जाती है। ऐसा विश्वास है कि वधु की माँ के रूप में उसे हमेशा मान-सम्मान तथा संतुष्टि दिलाए।

अनेक क्षेत्रों में लक्ष्मी का श्रृंगार कौड़ियों से किया जाता है। कौड़ीओं का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया जाता है। यूनान की देवी वीनस को प्रसन्न करने के लिए वहां के निवासी उस पर कौड़ी ही अर्पण करते है।

वाहन में कौड़ी रखने से ऐसा माना जाता है कि वाहन के स्वामी को वाहन के माध्यम से धन व समृद्धि प्राप्त होगी तथा वाहन दुर्घटना से भी बचा रहता है।

सड़क पर पड़ी हुई कौड़ी मिलना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी कौड़ी को संभाल कर घर में रखने से बरकत में वृद्धि होती है।

इसे श्री हनुमान जी के सिंदूर से साफ़ व स्वच्छ करने के बाद प्रयोग में लाना चाहिए।

वाहन को बुरी नजर से बचाने के लिए कौड़ी को वाहन में सफ़ेद या काले धागे में बाँध कर सुविधा अनुसार कही भी लटका दें।

वास्तु दोष के निवारण के लिए इसे दरवाजे पर लटकाया जाता है।

घर में आर्थिक सम्पन्नता के लिए इसे अपने धन स्थान पर रखे अथवा घर की उत्तर दिशा में लटका सकते है।

यह ध्यान रखें कि कौड़ी हमेशा तीन या पांच या फिर नौ की संख्या में ही प्रयोग में लानी चाहिए।

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