ओछी चालो में फंसकर राहुल-प्रियंका-केजरीवाल-उद्धव-ममता तो बना जा सकता है। लेकिन सदियों में कोई भारतीय मोदी एक बार ही बनता है। तथ्य पूरा जरूर पढ़ें।

कुछ समय से "कट्टर" मोदी समर्थकों में एक नया ट्रेंड चल रहा है। 

बंगाल में सत्तारूढ़ पक्ष ने चुनावी हिंसा में भाजपा समर्थकों को मारा।  प्रधानमंत्री मोदी में दम नहीं है; फलाना-दिखाना अनुच्छेद लगाकर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए था !

महाराष्ट्र में नारायण राणे को अरेस्ट कर लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी में दम नहीं है; उद्धव ठाकरे को ऐसे ही एक वक्तव्य के लिए अरेस्ट कर लेना चाहिए था ! 

ट्विटर ने राष्ट्रवादियों का अकाउंट बंद कर दिया।  प्रधानमंत्री मोदी में दम नहीं है; ट्विटर को बैन कर देना चाहिए था !

फर्जी किसान राजमार्ग छेककर बैठे है।  प्रधानमंत्री मोदी में दम नहीं है; पिछवाड़े पे लट्ठ मारकर खदेड़ देना चाहिए था !

शाहीन बाग़ के लिए भी कुछ ऐसे ही विचार थे। 

दूसरे शब्दों में, कुछ भी कहीं पर हो जाए; प्रधानमंत्री मोदी को "दम" दिखा देना चाहिए। 

अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया; तीन तलाक से छुटकारा दिला दिया; तथा राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त कर दिया (जिन लोगों को लगता है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के कारण राम मंदिर बन रहा है, वह ध्यान रखें कि कांग्रेसियों ने पूरा जोर लगा दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय में केस न सुना जाए।  यहां तक कि उन्होंने भगवान राम को एक काल्पनिक व्यक्ति करार दिया था)। 

चीन को पीछे धकेल दिया; आतंकी नेतृत्व को ट्विटर योद्धा बना दिया। राष्ट्रपति बाइडेन - उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (एक समय इनकी भतीजी बहुत उछल रही थी) को भारत समर्थक नीतियां अपनाने के लिए फोर्स कर दिया। सिख पॉलिटिशियन - जो एक समय नागरिक संशोधन कानून  के विरोध में थे - अब CAA का समर्थन कर रहे है। कोर्ट ने बंगाल हिंसा की CBI को समयबद्ध जांच के आदेश दे दिए है जिसकी परिणीति हिंसा समर्थक लोगो के अरेस्ट से होगी। ट्विटर ने राहुल गाँधी एवं कई जिहादियों के अकाउंट के विरुद्ध एक्शन ले लिया। 

लेकिन मोदी में दम नहीं है। 

आप प्रधानमंत्री मोदी से ऐसी कार्यवाई (बंगाल में राष्ट्रपति शासन; उद्धव की गिरफ्तारी) की अपेक्षा करते है जो एक दिन भी कोर्ट के सामने नहीं टिक सकती। नारायण राणे को कुछ समय में बेल मिल जानी है; तब उद्धव क्या करेंगे? इस बेल के बाद नारायण राणे उद्धव को शेर की तरह ललकारेंगे। 

हम लोग अधीर है। हम रणनीति (strategy) एवं चाल (tactic) के मध्य अंतर करना नहीं जानते। 

सरल शब्दों में रणनीति दीघकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की नीति है; जबकि चाल एक क्षणिक विजय प्राप्त करने की नीति है।  

उदाहरण के लिए, मुशर्रफ़ ने कारगिल की चोटियों पे कब्ज़ा कर लिया।  उसकी चाल यह थी कि वह कहेगा कि उसकी सेना ने उन चोटियों पे कब्ज़ा नहीं किया है। अगर भारत उन चोटियों को छुड़ाने के लिए युद्ध करेगा, तो वह परमाणु हमले की धमकी दे देगा।
 
इस चाल को काटने के लिए वाजपेयी जी की दीर्घकालिक रणनीति क्या थी? कि भारत युद्ध भी करेगा; साथ ही लाइन ऑफ़ कंट्रोल को पार नहीं करेगा। अगर लाइन ऑफ़ कंट्रोल पार नहीं किया, तो युद्ध कैसे होगा? मुशर्रफ़ के पास इस रणनीति को काटने के लिए कोई चाल नहीं थी।  

आज देशतोड़क शक्तियों के पास कोई रणनीति नहीं है; केवल चाले है। 

और वह चाल तुष्टिकरण के आस-पास केंद्रित है।  तभी मुलायम-अखिलेश कल्याण सिंह को व्यक्तिगत रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करने नहीं जाते। ममता CAA के विरोध में खड़ी है। सिद्धू के सहयोगी कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानते।  चिदंबरम कहते है कि अगर वे सत्ता में आ गए तो वे अनुच्छेद 370 वापस ले आएंगे। 

इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी एक रणनीति के अनुरूप कार्य कर रहे है।  भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करना; भारत को सशक्त बनाना; सभी भारतीयों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करना; भारत को एक अत्यधिक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाना; कोरोना से निपटना; भ्रष्टाचार पे काबू पाना, इत्यादि इस रणनीति का अहम हिस्सा है। 

आज भी खदानों से कोयला बिक रहा है;  लेकिन भ्रष्टाचार का एक भी समाचार नहीं। 
आज भी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम (4G - 5G) की नीलामी हो रही है; लेकिन भ्रष्टाचार का एक भी समाचार नहीं। 
लाखो किलोमीटर के राजमार्ग-रेलमार्ग बन गए; दर्ज़नो एयरपोर्ट बन रहे है; लेकिन भ्रष्टाचार का एक भी समाचार नहीं। 
लाखो-करोड़ो रुपये के रक्षा उपकरण खरीदे जा चुके है या फिर राष्ट्र में बन रहे है; लेकिन भ्रष्टाचार का एक भी समाचार नहीं। 
50 करोड़ से अधिक लोगो को कुछ माह में वैक्सीन लग गयी; लेकिन भ्रष्टाचार का एक भी समाचार नहीं। 

सभी भारतीयों को घर, नल से जल, बिजली, शौचालय, बैंक अकाउंट मिल गया है या वर्ष 2024 तक मिल जाएगा। कन्याओं को कुपोषण से मुक्ति दिलाना है।  सभी भारतीयों को साक्षर बनाना है। 

यही राष्ट्र निर्माण की दीर्घकालीन रणनीति है। 

ओछी चालो में फंसकर राहुल-प्रियंका-केजरीवाल-उद्धव-ममता तो बना जा सकता है। 
 
लेकिन सदियों में कोई भारतीय मोदी एक बार ही बनता है। 

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