इस कहानी को पढने के बाद आप महसूस कर पाएंगे कि “इंसान में अगर चुनौतियों का सामना करने का जज्बा और परिस्थितियों से लड़ने की ताकत हो तो कुछ भी असंभव नहीं।” कोई भी परिस्थिति या चुनौती इंसान को तब तक मजबूर नहीं कर सकती जब तक कि इंसान खुद ही उसके सामने हथियार ना डाल दे। ये real life inspirational story हमें बताती है बुलंद इंसानी हौसले किसी भी चुनौती को पस्त होने पर मजबूर कर सकते हैं।
तो आप भी पढ़िए real life inspirational story of success:
ये बात उस समय की है जब मैं college में पढ़ा करता था। college का time शायद किसी के भी जीवन का सबसे रोमांचकारी समय होता है। पढना-लिखना, घूमना-फिरना, movies देखना, classes bunk करना, parks में बैठकर time pass करना। मेरा भी जीवन कुछ ऐसे ही बीत रहा था। मैं भी अपने दोस्तों के साथ अक्सर एक park में बैठकर time pass किया करता था। ये हमारे शहर का एक well maintained park है। इसके चारों तरफ बहुत सारी दुकाने हैं। उन दुकानों के आगे पान, पानी-पूरी, ice-cream, fast food आदि के बहुत सारे हाथ-ठेले भी खड़े रहते हैं। इस park में बहुत सारे लोग अपनी सेहत बनाने के लिए सुबह – शाम घुमते नज़र आ जायेंगे।
नजरिये में फर्क और ज़िन्दगी बेहतर
शाम के समय तो लोग अपने परिवारों के साथ यहाँ आ कर तरह-तरह की चीजों को खाने-पीने का लुत्फ़ उठाते हैं। हम भी हफ्ते में 1-2 चक्कर तो इस park के लगा ही आया करते थे। एक बार कुछ व्यस्तता के चलते हम दोस्त काफी दिनों बाद park घूमने गए। Park में घूमने-फिरने के बाद कुछ खाने की इच्छा लिए हमलोग हाथ-ठेले वालों की तरफ गए तो वहां fast food का एक नया ठेला देखकर वही रूक गए। दूसरे ठेले-वालों के बजाय उसके यहाँ भीड़ भी ज्यादा नज़र आ रही थी। एक चीज जो हमारे लिए उस समय अजीब थी, उस ठेले पर एक आदमी के साथ एक औरत भी मौजूद थी। जो की fast food बना रही थी और वह आदमी serve कर रहा था।
आज तो ऐसे नज़ारे शायद कई जगह देखने को मिल जाएगें पर उस समय वो हमारे छोटे शहर में बिल्कुल अजीब था। खैर हमने भी वहाँ से fast food ख़रीदा और खाया। fast food कुछ extra ordinary तो नहीं था, फिर भी बाकी के ठेलों से ठीक था। क्योंकि एक औरत और आदमी का इस तरह से ठेले पर fast food बेचना हमारे लिए अजीब था, इसलिए मन में तरह-तरह के सवाल भी उमड़-घुमड़ कर रहे थे। आखिर कौन है ये लोग? क्या कोई नई परिपाटी शुरू करने आये हैं? कोई मजबूरी है?
उन दोनों को देखकर बहुत सारे सवाल दिमाग में दस्तक दे रहे थे।
अपने सवालों को शांत करने के लिए जब हमने उनके बारे में जानकारी हासिल कि तो पता चला कि ये लोग कभी बहुत अमीर हुआ करते थे। वह आदमी जो fast food serve कर रहा है, कभी बहुत बड़ा businessman था, पर अपने कुछ गलत decisions के चलते उसको इतना बड़ा loss लगा कि घर-बार, गाड़ी, property, business सब का सब बिक गया और अब घर चलाने के लिए इस तरह fast food का ठेला लगाना पड़ता है। हमने भी सोचा मजबूरी आदमी से क्या – क्या करा लेती है। जो आदमी कभी खुद करोडपति था, जिसके घर पर नौकर-चाकर थे, आज सड़क पर ठेला लगाकर खुद लोगो को fast food serve कर रहा है।
अपने routine के हिसाब से हम दोस्त अक्सर park में घुमने जाते रहते थे, हमने उस ठेले को हमेशा वहीं देखा, उस औरत और आदमी को उसी तरह काम करते हुए पाया। कभी हमने उन दोनों के चेहरे पर कोई मजबूरी, शर्म, चिंता की लकीरें नहीं देखी। उन्हें देखकर ऐसा लगता ही नहीं था कि इन्होने इतना कुछ खोया है। हमेशा चेहरे पर हंसी, लोगों से मुस्करा कर बात करना उनकी जिंदादिली को साफ-साफ बयां करता था।
अब हमारे college खत्म हो चुके थे। ज्यादातर लोगों को अलग-अलग जगह पर job लग चुकी थी। मुझे भी किसी दूसरे शहर में job मिल गयी और मैं वहां नौकरी करने चला गया। नौकरी के दौरान घर आना-जाना लगा रहता था पर park जाने का मौका कभी नहीं मिला। काफी वर्षों बाद एक बार जब मैं अपने पैतृक शहर में ही था तो एक पुराना दोस्त मिल गया तो उसके साथ घूमने फिरने के इरादे से जब एक जगह पर पहुँचा तो देखा वही औरत ठेले पर fast food बना रही थी और कुछ लड़के serve कर रहे थे। फ़ौरन मैंने अपने दोस्त से पुछा, यार ये मियां-बीबी तो park के पास ठेला लगाते थे ना, फिर अभी यहाँ कैसे? और वो इसका husband भी कहीं नज़र नहीं आ रहा है।
उसने मुझसे कहा, भाई अब ये लोग गरीब नहीं है। अपने शहर के सबसे पौश इलाके में इनका मकान है, अच्छी-खासी property बना ली है। Husband ने फिर से अपना वही पुराना business शुरू कर दिया है और वो उसको संभालता है। Fast food का business ये औरत संभालती है। इस area में students ज्यादा रहते हैं, इसलिए शाम के समय ये लोग यहाँ ठेला लगाते हैं। क्योंकि students इसी समय कुछ खाने-पीने के इरादे से बाहर निकलते हैं। अँधेरा होने के साथ ही ये अपना ठेला park पर लेकर चली जाएगी और फिर रात के 10-11 बजे तक वहां रहेगी।
इस true motivational story से क्या सीखा हमने:
तो देखा दोस्तों आपने कैसे एक व्यक्ति ने मुसीबतों में भी अवसर खोज लिए, उसने भले ही ठेला लगाकर गुजारा किया पर वहां भी proper planning की। market study करके देखा, किस वक़्त किस जगह ज्यादा sale हो सकती है। एक करोडपति आदमी ठेले पर काम करते वक़्त भी जिंदादिल बना रहा। अपने past को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जो करना लोगों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है, उसे उसने आसानी से किया और पूरी शिद्दत के साथ किया। अपने आप को साबित करने की शिद्दत, फिर से अपने परिवार को वही सुख-समृधि देने की शिद्दत, सपने देखने और उन्हें पूरा करने की शिद्दत, किसी भी condition में सफलता हासिल करनी की शिद्दत।
सफलता की चाभी
आत्म-विश्वास के बल पर जीती हारी बाज़ी…
उसकी जगह कोई और होता तो इतने नुकसान के बाद शायद अपनी इहलीला ही समाप्त कर लेता, पागल हो जाता या कोई बीमारी पाल लेता। पर उसने अपने-आप को संभाले रखा, अपने सपनों को बुझने नहीं दिया, उनके रंगों को फीका नहीं पड़ने दिया और इस पूरे प्रकरण में उसकी wife भी उतनी ही समझदार और सहयोगी बनी रही, जिससे उन्हें अपना मुकाम फिर से हासिल करने में आसानी रही।
इसलिए दोस्तों परेशानियों से घबराएं नहीं। उनका डटकर सामना करें, ये सोचें की ये आपको परेशान करने नहीं बल्कि आपको कुछ सिखाने आई हैं, आपको और मज़बूत बनाने आई हैं। क्या आपने ऐसा ताला देखा है, जिसकी कोई चाभी ना बनाई गयी हो? नहीं ना !!!!! तो ऎसे ही ईश्वर भी बिना समाधान के कोई समस्या नहीं बनाता। बस जरूरत है चाभी को ढूंढकर ताला खोलने की।
$$ J.P. BABBU
तो आप भी पढ़िए real life inspirational story of success:
ये बात उस समय की है जब मैं college में पढ़ा करता था। college का time शायद किसी के भी जीवन का सबसे रोमांचकारी समय होता है। पढना-लिखना, घूमना-फिरना, movies देखना, classes bunk करना, parks में बैठकर time pass करना। मेरा भी जीवन कुछ ऐसे ही बीत रहा था। मैं भी अपने दोस्तों के साथ अक्सर एक park में बैठकर time pass किया करता था। ये हमारे शहर का एक well maintained park है। इसके चारों तरफ बहुत सारी दुकाने हैं। उन दुकानों के आगे पान, पानी-पूरी, ice-cream, fast food आदि के बहुत सारे हाथ-ठेले भी खड़े रहते हैं। इस park में बहुत सारे लोग अपनी सेहत बनाने के लिए सुबह – शाम घुमते नज़र आ जायेंगे।
नजरिये में फर्क और ज़िन्दगी बेहतर
शाम के समय तो लोग अपने परिवारों के साथ यहाँ आ कर तरह-तरह की चीजों को खाने-पीने का लुत्फ़ उठाते हैं। हम भी हफ्ते में 1-2 चक्कर तो इस park के लगा ही आया करते थे। एक बार कुछ व्यस्तता के चलते हम दोस्त काफी दिनों बाद park घूमने गए। Park में घूमने-फिरने के बाद कुछ खाने की इच्छा लिए हमलोग हाथ-ठेले वालों की तरफ गए तो वहां fast food का एक नया ठेला देखकर वही रूक गए। दूसरे ठेले-वालों के बजाय उसके यहाँ भीड़ भी ज्यादा नज़र आ रही थी। एक चीज जो हमारे लिए उस समय अजीब थी, उस ठेले पर एक आदमी के साथ एक औरत भी मौजूद थी। जो की fast food बना रही थी और वह आदमी serve कर रहा था।
आज तो ऐसे नज़ारे शायद कई जगह देखने को मिल जाएगें पर उस समय वो हमारे छोटे शहर में बिल्कुल अजीब था। खैर हमने भी वहाँ से fast food ख़रीदा और खाया। fast food कुछ extra ordinary तो नहीं था, फिर भी बाकी के ठेलों से ठीक था। क्योंकि एक औरत और आदमी का इस तरह से ठेले पर fast food बेचना हमारे लिए अजीब था, इसलिए मन में तरह-तरह के सवाल भी उमड़-घुमड़ कर रहे थे। आखिर कौन है ये लोग? क्या कोई नई परिपाटी शुरू करने आये हैं? कोई मजबूरी है?
उन दोनों को देखकर बहुत सारे सवाल दिमाग में दस्तक दे रहे थे।
अपने सवालों को शांत करने के लिए जब हमने उनके बारे में जानकारी हासिल कि तो पता चला कि ये लोग कभी बहुत अमीर हुआ करते थे। वह आदमी जो fast food serve कर रहा है, कभी बहुत बड़ा businessman था, पर अपने कुछ गलत decisions के चलते उसको इतना बड़ा loss लगा कि घर-बार, गाड़ी, property, business सब का सब बिक गया और अब घर चलाने के लिए इस तरह fast food का ठेला लगाना पड़ता है। हमने भी सोचा मजबूरी आदमी से क्या – क्या करा लेती है। जो आदमी कभी खुद करोडपति था, जिसके घर पर नौकर-चाकर थे, आज सड़क पर ठेला लगाकर खुद लोगो को fast food serve कर रहा है।
अपने routine के हिसाब से हम दोस्त अक्सर park में घुमने जाते रहते थे, हमने उस ठेले को हमेशा वहीं देखा, उस औरत और आदमी को उसी तरह काम करते हुए पाया। कभी हमने उन दोनों के चेहरे पर कोई मजबूरी, शर्म, चिंता की लकीरें नहीं देखी। उन्हें देखकर ऐसा लगता ही नहीं था कि इन्होने इतना कुछ खोया है। हमेशा चेहरे पर हंसी, लोगों से मुस्करा कर बात करना उनकी जिंदादिली को साफ-साफ बयां करता था।
अब हमारे college खत्म हो चुके थे। ज्यादातर लोगों को अलग-अलग जगह पर job लग चुकी थी। मुझे भी किसी दूसरे शहर में job मिल गयी और मैं वहां नौकरी करने चला गया। नौकरी के दौरान घर आना-जाना लगा रहता था पर park जाने का मौका कभी नहीं मिला। काफी वर्षों बाद एक बार जब मैं अपने पैतृक शहर में ही था तो एक पुराना दोस्त मिल गया तो उसके साथ घूमने फिरने के इरादे से जब एक जगह पर पहुँचा तो देखा वही औरत ठेले पर fast food बना रही थी और कुछ लड़के serve कर रहे थे। फ़ौरन मैंने अपने दोस्त से पुछा, यार ये मियां-बीबी तो park के पास ठेला लगाते थे ना, फिर अभी यहाँ कैसे? और वो इसका husband भी कहीं नज़र नहीं आ रहा है।
उसने मुझसे कहा, भाई अब ये लोग गरीब नहीं है। अपने शहर के सबसे पौश इलाके में इनका मकान है, अच्छी-खासी property बना ली है। Husband ने फिर से अपना वही पुराना business शुरू कर दिया है और वो उसको संभालता है। Fast food का business ये औरत संभालती है। इस area में students ज्यादा रहते हैं, इसलिए शाम के समय ये लोग यहाँ ठेला लगाते हैं। क्योंकि students इसी समय कुछ खाने-पीने के इरादे से बाहर निकलते हैं। अँधेरा होने के साथ ही ये अपना ठेला park पर लेकर चली जाएगी और फिर रात के 10-11 बजे तक वहां रहेगी।
इस true motivational story से क्या सीखा हमने:
तो देखा दोस्तों आपने कैसे एक व्यक्ति ने मुसीबतों में भी अवसर खोज लिए, उसने भले ही ठेला लगाकर गुजारा किया पर वहां भी proper planning की। market study करके देखा, किस वक़्त किस जगह ज्यादा sale हो सकती है। एक करोडपति आदमी ठेले पर काम करते वक़्त भी जिंदादिल बना रहा। अपने past को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जो करना लोगों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है, उसे उसने आसानी से किया और पूरी शिद्दत के साथ किया। अपने आप को साबित करने की शिद्दत, फिर से अपने परिवार को वही सुख-समृधि देने की शिद्दत, सपने देखने और उन्हें पूरा करने की शिद्दत, किसी भी condition में सफलता हासिल करनी की शिद्दत।
सफलता की चाभी
आत्म-विश्वास के बल पर जीती हारी बाज़ी…
उसकी जगह कोई और होता तो इतने नुकसान के बाद शायद अपनी इहलीला ही समाप्त कर लेता, पागल हो जाता या कोई बीमारी पाल लेता। पर उसने अपने-आप को संभाले रखा, अपने सपनों को बुझने नहीं दिया, उनके रंगों को फीका नहीं पड़ने दिया और इस पूरे प्रकरण में उसकी wife भी उतनी ही समझदार और सहयोगी बनी रही, जिससे उन्हें अपना मुकाम फिर से हासिल करने में आसानी रही।
इसलिए दोस्तों परेशानियों से घबराएं नहीं। उनका डटकर सामना करें, ये सोचें की ये आपको परेशान करने नहीं बल्कि आपको कुछ सिखाने आई हैं, आपको और मज़बूत बनाने आई हैं। क्या आपने ऐसा ताला देखा है, जिसकी कोई चाभी ना बनाई गयी हो? नहीं ना !!!!! तो ऎसे ही ईश्वर भी बिना समाधान के कोई समस्या नहीं बनाता। बस जरूरत है चाभी को ढूंढकर ताला खोलने की।
$$ J.P. BABBU
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