माँ का अहसान ज़िंदगी दे कर भी नही चुकाया जा सकता है।

माँ का अहसान ज़िंदगी दे कर भी नही चुकाया जा सकता है।

ज़ितना दर्द बीस हड्डी एक साथ टूटने से होता हैं.
उससे ज्यादा दर्द एक माँ को अपने बच्चे को इस दुनिया मे लाने
मे होता हैं,
आप और हम उस पीडा की कल्पना भी नही कर सकते हैं,


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