"बहू "बेटी " मेरा अभिमान .....एक नई रोशनी....




दो पडोसन धूप में बैठी गपशप का मजा ले रही थी...
मिसेज गुलाटी मिसेज शर्मा से -देखो ...अब चार दिनों बाद रवि की शादी हो जायेगी ओर तुम्हारे घर बहू आ जायेगी। तुम अब सारा काम बहू से करवाना तुम्हारा स्वभाव रहा हैं सीधा और तुम बहू के ही आगे पीछे करती रहोगी। इसीलिए तुम्हें समझा रही हूं.....शुरू से ही उसे तुम कंट्रोल में रखना ,नहीं तो बाद में तुम्हारे हाथ में कुछ भी नहीं रहेगा....ये सुनकर रवि की मां हंस दी और बोली , " ऐसा कुछ भी नहीं होगा बहन ....शुभ शुभ सोचो सब शुभ ही होगा .कहकर बात को हंसी मे टाल दिया
चार दिन के बाद रवि की शादी बड़ी धूम-धाम से हो गयी ओर आज मुंह दिखाई की रस्म थी पडोसी रिश्तेदार आने लगे बहू सपना की मुंह दिखाई हुई सब मेहमान एक एक कर के चले गये तब रवि की मम्मी ने बहू सपना से कहा , " बिटिया, जरा अंदर आना..., मां ने पटिया रखा और बोली , बेटी , बैठ जाओ। "
सपना सासूमां का कहा मानकर बैठ गयी और सोचने लगी कि आखिर सासूमां क्या करने जा रही है इतने में रवि की मम्मी ने हाथ में नमक , मिर्ची और राई लेकर सपना के ऊपर से सिर से पांव तक सात बार उतार कर आंगन में रखे जलते हुये कंडों पर डाल दी धुआं उठा तड तड आवाज आने लगी....रवि की मम्मी ने थोडी सी राख ली और सपना के पैर के अंगूठे को काला टीका लगा दिया, सासूमां का पैरो पर हाथ लगते ही सपना सकपका गई ओर बोली अरेरे...मांजी ये आप क्या कर रही है ...तब मम्मी बोली -कुछ नहीं , बेटी मैं तो तुम्हारी नजर उतार रही थी , मैं रवि और उसकी बहन की भी इसी तरह नजर उतारती थी...अब एक बेटी गई तो दूसरी बेटी आ गयी , कहते कहते उन्होंने उसे गले लगा दिया ओर बोली,मेरीबेटी मेरा अभिमान , मेरा बेटा मेरा अभिमान , वैसे ही अब से मेरी बहू भी मेरा अभिमान है मुझे मेरी बहू को भी उन दोनों की तरह ही संभालना है ..सपना भौचक्की सी हो सोचने लगी , मेरी मां ने भी कभी मेरी इस तरह नजर नहीं उतारी आज से मुझे भीइसी तरह रहना है कि मेरे प्रति उनका अभिमान बना रहे,मेरी बेटी मेरा अभिमान ' तो सब कहते है , लेकिन मुझे , मेरी बहू मेरा अभिमान ' कहने वाली सास मिली है । अहो भाग्य मेरे ....तुरंत उठी ओर सासूमां के पैरो को छूकर बोली - मांजी....नही मम्मी जी ..आपकी बेटी आपके अभिमान पर कभी आंच नही आने देगी .




 

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