ये चालीस पार की औरतें, कुछ मनमानी सी हो जाती हैं।
समझदार के साथ साथ, नादान सी हो जाती हैं।।
बढ़ती हुई उम्र को रोकना चाहती हैं,चेहरे की सलवटों को छुपाना चाहती हैं।
जो कुछ पीछे छूट गया, उसे फिर से पाना चाहती हैं।।
ये 40 पार की औरतें, 16-17 की दिखना चाहती हैं।
माँ से बेटी की सहेली बनना चाहती हैं।।
ये 40 पार की औरतेँ अब अपना बजूद खोजती हैं।
क्या खोया,क्या पाया रात भर सोचती हैं।।
कभी अजनबी में अपनापन खोजती हैं।
तो कुछ अपनों से अजनबी हो जाती हैं।।
ये 40 पार की औरतेँ कुछ मनमानी सी हो जाती हैं।
समझदार के साथ साथ, नादान सी हो जाती हैं...🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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