जख्म की एक नयी सुबह ..............
"भाभी.. ! भैया चले गए क्या.. ? पूनम ने पूछा.... हां.... ! सुमन ने नजरें चुराते हुए कहा।
"भाभी.... ! कब तक सहोगी... ?
अपने दुर्दांत भैया को मै जानती हूं बचपन से, मैं कुछ नही कह सकती। मां कहती हैं , चार दिन की मेहमान हो अपने घर चली जाओगी।
पर भाभी रात भर भैया ने मारा है तुम्हे,और तुम चोट छुपा रही हो।"पूनम कहती गई... सुमन की आखों का दरिया बह चला।
"पूनम ,औरत को चोट से ज्यादा बुरा तब लगता है जब किसी और को पता चले कि उसने मार खाई है।"पूनम ने कहा "और कितना सहोगी भाभी..? मार खाकर दो बार तुम्हारा अबार्शन हो चुका है अपनी हालत देख रही हो हर जगह चोट के निशान हैं। मत सहो इतना."पूनम ने फिर कहा..
"तो क्या करुं पूनम ...? कोई और चारा भी नही.."
"मायके नही जा सकती...मां और मीरा का ही खर्चा मुश्किल से चलता है। मीरा की दिमागी हालत ठीक नही...भाई भी नही जिसके सहारे मायके जाउं। चाचा जी जितना खाना मां को देते है उससे कहीं अधिक काम लेते है।फिर भी चाची ताने देते रहती है। बाबु जी की सारी जमीन चाचा ने अपने नाम करा ली है। चाची दिन रात बहन को मरने का श्राप देती रहती है।"
फफक पड़ी सुमन ...
"भाभी!"पूनम सुमन के गले लग गई...। दोनो ननद भाभी का ऐसा प्रेम था जैसे सगी बहने हों।
पूनम समझदार लड़की थी। वह भाई को बिगड़ते देख मां से जब भी कुछ कहती मां कहती समय आने पर सुधर जाएगा। भाई के बिगड़ने के पीछे मां का अत्याधिक प्रेम था। हमेशा पापा से छुपा कर पैसे दिया करती थी। उसकी हर जिद मानना मां के लिए निहायत जरुरी था। कम उम्र से ही शराब की आदत लग चुकी थी। मां को लगता कि यह सब समय आने पर सुधर जाएगा।
पर समय के साथ यह और भी बढ़ता रहा। भाई ने ढंग से पढ़ाई भी नही की। पूनम अपनी पढ़ाई मे लगी रही। हद तब हो गई जब भाई मुहल्ले की लड़कियों को छेड़ने लगा। उसकी सहेलियों ने भी शिकायत की। पूनम के लिए यह बहुत शर्मनाक था। उसने मां को भी कहा पर मां की आंखों मे पुत्र मोह की पट्टी बंधी थी। मां ने कहा सभी लड़के ऐसा करते है।
पूनम ने खुद को पढ़ाई तक सीमित कर लिया। वह भाई के बारे में कुछ नही कहना चाहती थी। पराए घर की अमानत थी वो। इस घर में उसके अधिकार सीमित थे।
एक रात देर तक भाई घर नही आया। पापा पहली बार चिंतित दिखे। किसी ने आकर बताया तीन लड़के पकड़े गए है लड़की से छेड़खानी करते। शायद भाई भी थाने में है...पापा थाने जाकर जमानत करा लाए। पर कुछ कहा नही....
पानी सर से निकल चला था।
मां ने कहा "शादी कर दिजिए इसकी। पैर मे बेड़ी पड़ेगी तो खुद ही लक्षण सुधर जाएंगे।"
यूं तो पापा पहले पूनम की शादी करना चाहते थे, पर अब भाई की शादी की चर्चा थी।
कोई रिश्ता नही सूझ रहा था। भाई की नेकनामी के चर्चे फैल चुके थे।
आखिर रिश्ता मिल ही गया। लड़की के पिता नही थे...दो बहनें ही थी। चाचा किसी तरह शादी करके छुटकारा चाहते थे। सीधी गऊ थी लड़की।
ऐसी ही लड़की की तलाश थी उन्हे....और सुमन बहु बनकर आ गई। कुछ दिन सब ठीक चला। भाई भी सुधरता लग रहा था। पर एक रात सुमन के रोने की आवाज ने पूनम को झिंझोड़ दिया। सुबह सुमन सामान्य बनने की कोशिश करती रही। पूनम समझ रही थी पर उसे सुमन को कुरेदना अच्छा नही लगा। हां मां सुमन को खूब पुचकार रही थी ताकि बेटे की गलती पर पर्दा डाल सके।
अब तो यह रोज होने लगा। मां का सुमन के प्रति प्यार बढ़ रहा था पर भाई को कुछ नही कह पाती। इस चुप्पी ने पूनम को भी परेशान कर रखा था। न सुमन कुछ कहती... न मां...। मां सुमन को खुश रखने के लिए कभी साड़ी खरीदती कभी उसके लिए गहने बनवाती। चमकती दमकती सुमन खूबसूरत भी लगती।
इस दौरान दो बार उसका गर्भपात हो चुका था। भाई जब खुश रहता तो उसे माथे पर चढ़ा कर रखता। पर किसी भी बात से नाराज होने पर अंधा हो जाता और मार पीट पर उतारु हो जाता। सुमन यह सब पूनम से छुपा कर रखती। शायद मां का आदेश होगा। पर आज उसे कहना पड़ा।
"भाभी यह सबकी दोषी तुम भी हो। तुम विरोध करो... या रिपोर्ट करो।"
"किस बलबुते मै यह सब करुं पूनम ?" सुमन ने पुछा।
"खुद के बलबुते। मार खाने की हिम्मत है विरोध करने की नही।" पूनम ने कहा.....
"हां पूनम अब मुझसे बर्दाश्त नही होता। अब शायद मुझे ही कुछ करना होगा।"
"हां भाभी अपने जख्मों को छिपाओ नही.... मजबूत बनो। मै तुम्हारे साथ हूं.....पर पहल तो तुम्हें ही करनी पड़ेगी। और दोनो फिर एक बार गले लग गई।
एक रात भाई नशे में धूत्त जैसे ही सुमन को मारना चाहा सुमन ने तुरंत हाथ पकड़ लिये....अौर पूनम को आवाज लगाकर कहा पूनम चलो हमारे साथ थाने रिपोर्ट लिखाने ....पूनम के आते ही भाई शांत हो गया ....दोनों अभी निकलने ही वाली थी कि भाई ने हाथ जोड़कर पुनम से माफी मांगने लगा अब आगे से नहीं मारूँगा .....
पूनम ने कहा भाई माफी मुझसे नहीं भाभी से मांगो .....इतना कहकर पूनम सोने चली गयीे ....
अगली सुबह सुमन के लिये एक नयी सुबह हुयी .... जैसे ये सुबह उसे जीने की नयी उमंग भर गयी ...सुमन पूनम के लिये चाय लेकर आयी ....पूनम सुमन के चेहरे की चमक देख सुबह की किरणों की अोर देखने लगी ...
सच में आज एक नयी सुबह हुयी है ..... उडान भरती हवाओं में दोनों नन्द भाभी गले लग खुलकर सांसें ले रही थीं ....
जब तक आप खूद पहल नहीं करेगें तब तक कोई आपकी मदद नहीं कर सकता भगवान भी नहीं ..अपनी लडाई खूद के बलबुते पर लड़ी जाती है पीछे पूरी दुनिया आपके साथ चलेगी ..............
"भाभी.. ! भैया चले गए क्या.. ? पूनम ने पूछा.... हां.... ! सुमन ने नजरें चुराते हुए कहा।
"भाभी.... ! कब तक सहोगी... ?
अपने दुर्दांत भैया को मै जानती हूं बचपन से, मैं कुछ नही कह सकती। मां कहती हैं , चार दिन की मेहमान हो अपने घर चली जाओगी।
पर भाभी रात भर भैया ने मारा है तुम्हे,और तुम चोट छुपा रही हो।"पूनम कहती गई... सुमन की आखों का दरिया बह चला।
"पूनम ,औरत को चोट से ज्यादा बुरा तब लगता है जब किसी और को पता चले कि उसने मार खाई है।"पूनम ने कहा "और कितना सहोगी भाभी..? मार खाकर दो बार तुम्हारा अबार्शन हो चुका है अपनी हालत देख रही हो हर जगह चोट के निशान हैं। मत सहो इतना."पूनम ने फिर कहा..
"तो क्या करुं पूनम ...? कोई और चारा भी नही.."
"मायके नही जा सकती...मां और मीरा का ही खर्चा मुश्किल से चलता है। मीरा की दिमागी हालत ठीक नही...भाई भी नही जिसके सहारे मायके जाउं। चाचा जी जितना खाना मां को देते है उससे कहीं अधिक काम लेते है।फिर भी चाची ताने देते रहती है। बाबु जी की सारी जमीन चाचा ने अपने नाम करा ली है। चाची दिन रात बहन को मरने का श्राप देती रहती है।"
फफक पड़ी सुमन ...
"भाभी!"पूनम सुमन के गले लग गई...। दोनो ननद भाभी का ऐसा प्रेम था जैसे सगी बहने हों।
पूनम समझदार लड़की थी। वह भाई को बिगड़ते देख मां से जब भी कुछ कहती मां कहती समय आने पर सुधर जाएगा। भाई के बिगड़ने के पीछे मां का अत्याधिक प्रेम था। हमेशा पापा से छुपा कर पैसे दिया करती थी। उसकी हर जिद मानना मां के लिए निहायत जरुरी था। कम उम्र से ही शराब की आदत लग चुकी थी। मां को लगता कि यह सब समय आने पर सुधर जाएगा।
पर समय के साथ यह और भी बढ़ता रहा। भाई ने ढंग से पढ़ाई भी नही की। पूनम अपनी पढ़ाई मे लगी रही। हद तब हो गई जब भाई मुहल्ले की लड़कियों को छेड़ने लगा। उसकी सहेलियों ने भी शिकायत की। पूनम के लिए यह बहुत शर्मनाक था। उसने मां को भी कहा पर मां की आंखों मे पुत्र मोह की पट्टी बंधी थी। मां ने कहा सभी लड़के ऐसा करते है।
पूनम ने खुद को पढ़ाई तक सीमित कर लिया। वह भाई के बारे में कुछ नही कहना चाहती थी। पराए घर की अमानत थी वो। इस घर में उसके अधिकार सीमित थे।
एक रात देर तक भाई घर नही आया। पापा पहली बार चिंतित दिखे। किसी ने आकर बताया तीन लड़के पकड़े गए है लड़की से छेड़खानी करते। शायद भाई भी थाने में है...पापा थाने जाकर जमानत करा लाए। पर कुछ कहा नही....
पानी सर से निकल चला था।
मां ने कहा "शादी कर दिजिए इसकी। पैर मे बेड़ी पड़ेगी तो खुद ही लक्षण सुधर जाएंगे।"
यूं तो पापा पहले पूनम की शादी करना चाहते थे, पर अब भाई की शादी की चर्चा थी।
कोई रिश्ता नही सूझ रहा था। भाई की नेकनामी के चर्चे फैल चुके थे।
आखिर रिश्ता मिल ही गया। लड़की के पिता नही थे...दो बहनें ही थी। चाचा किसी तरह शादी करके छुटकारा चाहते थे। सीधी गऊ थी लड़की।
ऐसी ही लड़की की तलाश थी उन्हे....और सुमन बहु बनकर आ गई। कुछ दिन सब ठीक चला। भाई भी सुधरता लग रहा था। पर एक रात सुमन के रोने की आवाज ने पूनम को झिंझोड़ दिया। सुबह सुमन सामान्य बनने की कोशिश करती रही। पूनम समझ रही थी पर उसे सुमन को कुरेदना अच्छा नही लगा। हां मां सुमन को खूब पुचकार रही थी ताकि बेटे की गलती पर पर्दा डाल सके।
अब तो यह रोज होने लगा। मां का सुमन के प्रति प्यार बढ़ रहा था पर भाई को कुछ नही कह पाती। इस चुप्पी ने पूनम को भी परेशान कर रखा था। न सुमन कुछ कहती... न मां...। मां सुमन को खुश रखने के लिए कभी साड़ी खरीदती कभी उसके लिए गहने बनवाती। चमकती दमकती सुमन खूबसूरत भी लगती।
इस दौरान दो बार उसका गर्भपात हो चुका था। भाई जब खुश रहता तो उसे माथे पर चढ़ा कर रखता। पर किसी भी बात से नाराज होने पर अंधा हो जाता और मार पीट पर उतारु हो जाता। सुमन यह सब पूनम से छुपा कर रखती। शायद मां का आदेश होगा। पर आज उसे कहना पड़ा।
"भाभी यह सबकी दोषी तुम भी हो। तुम विरोध करो... या रिपोर्ट करो।"
"किस बलबुते मै यह सब करुं पूनम ?" सुमन ने पुछा।
"खुद के बलबुते। मार खाने की हिम्मत है विरोध करने की नही।" पूनम ने कहा.....
"हां पूनम अब मुझसे बर्दाश्त नही होता। अब शायद मुझे ही कुछ करना होगा।"
"हां भाभी अपने जख्मों को छिपाओ नही.... मजबूत बनो। मै तुम्हारे साथ हूं.....पर पहल तो तुम्हें ही करनी पड़ेगी। और दोनो फिर एक बार गले लग गई।
एक रात भाई नशे में धूत्त जैसे ही सुमन को मारना चाहा सुमन ने तुरंत हाथ पकड़ लिये....अौर पूनम को आवाज लगाकर कहा पूनम चलो हमारे साथ थाने रिपोर्ट लिखाने ....पूनम के आते ही भाई शांत हो गया ....दोनों अभी निकलने ही वाली थी कि भाई ने हाथ जोड़कर पुनम से माफी मांगने लगा अब आगे से नहीं मारूँगा .....
पूनम ने कहा भाई माफी मुझसे नहीं भाभी से मांगो .....इतना कहकर पूनम सोने चली गयीे ....
अगली सुबह सुमन के लिये एक नयी सुबह हुयी .... जैसे ये सुबह उसे जीने की नयी उमंग भर गयी ...सुमन पूनम के लिये चाय लेकर आयी ....पूनम सुमन के चेहरे की चमक देख सुबह की किरणों की अोर देखने लगी ...
सच में आज एक नयी सुबह हुयी है ..... उडान भरती हवाओं में दोनों नन्द भाभी गले लग खुलकर सांसें ले रही थीं ....
जब तक आप खूद पहल नहीं करेगें तब तक कोई आपकी मदद नहीं कर सकता भगवान भी नहीं ..अपनी लडाई खूद के बलबुते पर लड़ी जाती है पीछे पूरी दुनिया आपके साथ चलेगी ..............
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