पढिये ..एक कडवी सच्चाई

पढिये ..एक कडवी सच्चाई ...आपके बच्चे क्या सीख रहे हे क्या दिखा रहे हो अपने बच्चो को ...अभी 1दिन पहले की ही बात हे 10 - 12 साल के बच्चो ने एक 4 साल की बच्ची के साथ रेप कर दिया .....
...मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है। किस करते है।
आँखो में आँखे डालते है। और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है, टप्पू के पापा और बबिता जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा पूरे परिवार के साथ देखते है।
इन सब serial को देखकर आपको गुस्सा नही आता ?? फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है। पर आप बड़े मजे लेकर देखते है, इन सब को देखकर आपको गुस्सा नही आता ?? खुलेआम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है। अपराध सीखा रहे हे.,उनके मन मे जहर घोलते है। तब आपको गुस्सा नही आता ?...क्योकि आपको लगता है कि
रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है.. लेकिन क्या समाज और मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?आप तो अखबार पढ़कर। News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे।कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को, DP बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन....TV चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे। क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है। सच पुछिऐ तो TV Channels अश्लीलता परोस रहे है ...पाखंड परोस रहे है,झूंठे विषज्ञापन परोस रहे है ,मिडिया वाले , सेकुलर नेता , गद्दार वामपंथी स्कुलो में ब्रह्मांड की सर्वज्ञानमयी पूज्यनीय सनातन धर्म का ज्ञानकोष गीता जी के श्लोको को स्कुलो में पढाने का विरोध करते हे ...ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान हे ...लेकिन ...मिडिया वाले ... झूंठे और सत्य से परे नकली ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहै है। उनकी भी गलती नही है।क्योंकि आप खरीददार हो .....??बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।3) अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है। जैसे ही ब्रेक आये:-
पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है,
दूसरा कंडोम का,तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला,और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का......जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है।क्योंकि "हादसा एक दम नहीं होता,
वक़्त करता है परवरिश बरसों....!" ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है
......अश्लील विज्ञापन का सबसे बडा हाथहै इसमें...!!
** रानी लक्ष्मी को ना दिखाकर, सनी लिओन को दिखाना... कौन कर
रहा है ये .. मीडिया ही ना!! ** कोल्ड ड्रिंक्स कम्पनी sprite ‘ कैसे इसको झेलू मै , कैसे इसकी लेलू मै ?? क्या है भाई ये??
** कम्पनी वोडाफोन का भी पिछले दिनों एक विज्ञापन टीवी चैनलों पर
देखने को मिला जिसमे कोमल चंचल भावनाओं को ‘ रोमांस ‘ के रूप में
दिखाने की भद्दी कोशिश की गई‘??
चुकी विज्ञापन या टीवी पर प्रसारित कोई भी धारावाहिक अथवा फिल्म सभी हम पर और बच्चो पर मानसिक रूप से प्रभाव छोड़ते हैं कही न कही उनका असर हमारी जिन्दगी पर भी पड़ता है! वही प्रभाव हमारी जिन्दगी का हिस्सा बनने लगते हैं! **जिस तरह से रिनोल्ड पैन की मशहूरी में एक बच्चा बोलता है ‘ सब कुछ दिखता है ‘ वैसे ही गाव – शहर में भी एक चलन चलने लगता है और बच्चो की जुबान पर यह डाएलोग आने लगता है !
** हम इस बात को कतई नकार नहीं सकते कि किसी भी विज्ञापन या फिल्म को सफल बनाना हो तो उसमें सेक्स का तड़का डालना बहुत
कारगरसिद्ध हो सकता है. यद्यपि अधिकांश उत्पाद युवाओं के लिए हीबनाए जाते हैं. जिसके कारण टेलीविजन पर आने वाले ज्यादातर विज्ञापनों, जिसमें न्यूड सीन याअश्लीलता की जरूरत तक नहीं हैं, को युवाओं की नजरों में चढाने केलिए और उनकी जिज्ञासा का केन्द्र बनाने के लिए अश्लीलता परोसी जाने लगी है. ऐसे विज्ञापनों से उत्पाद की बिक्री में बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ युवाओं का नैतिकऔर चारित्रिक पतन के लिये ये जिम्मेदार नहीं है क्या??...और सबसे बड़ी बात ये हे की स्त्री स्वतन्त्रता के नाम पर , अंग दिखाऊ कपड़े पहनने के नाम पर , महिलाओं द्वारा नशा , शराबखोरी , अय्याशी , नेतिक पतन के विरुद्ध जब कोई बोल बोलता हे तो कुछ मुर्ख महिलाओं को इसमें महिला आजादी में दखल लगता हे लेकिन फिल्म वाले , मिडिया वाले , महिलाओं को आइटम के रूप में अश्लील ''चीज'' के रूप में दिखाते हे तो इन मुर्ख महिलाओं की जुबान नही खुलती ...स्त्री को मात्र भोग की , बाजार की वस्तु बना रहे हे और लोग चुप हे ...दरअसल ये सब सनातन धर्म , सनातन संस्कृति को खत्म करने के लिए रची गई एक घिनोनी साज़िश हे जिसमे मुर्ख हिन्दू महिलाये फस रही हे और लव जेहाद का शिकार हो रही हे ...
..उन महावीरो की , महापुरषों की आत्मा भी ये सब देखकर रोती होगी जिन्होंने देश , धर्म , संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व न्योझावर कर दिया और अपने परिवार , अपने प्राणों तक की परवाह नही की और सबकुछ देश के लिए देश की जनता के लिए अर्पण कर दिया ...
** आप मैं से किस-किस को कितने महापुरुषों की जीवनी पता है, अपने
धार्मिक ग्रंथों के बारे में कितनी जानकारी है.. शायद गर्दन झुक गई होगी... और मैं पूछू... हीरो- हीरोइन के बारे में,तो पूरी किताब लिख देंगे??
लेकिन याद रखो जब भारत में सनातन धर्म संस्कृति परम्परा का पूर्ण पालन होता था तब भारत विश्व गुरु था ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें