मेकअप"....

मेकअप"..........
लोग कहते है कि ..औरते बहुत मेकअप करती हैं..
सच ही तो है .........

औरतें सिर्फ चेहरे पर ही नही.. बल्कि घर ,परिवार ,बच्चे, पति ,समाज सभी पर मेकअप ही तो करती रहती हैं.......

जब एक बेटी पैदा होती है,, तब अपने सुंदर मुस्कान से घर मे बेटी की पैदाइश के मातम को छुपा देती है..
उस वक़्त लोगों के चेहरे पर मेकअप करती है.. और लोग बेटी - बेटा भूल कर मुस्कराने लगते है.............

वही बेटी जब थोड़ी बड़ी होती हैं तब भाई की गलतियों को अपने सर ले लेती है,और भाई की कमियों पर हमेशा मेकअप करती रहती हैं.............

दोस्तो की गलतियों पर मेकअप ...........

टीचर्स की गलतियों पर मेकअप..........

बेहतर शिक्षा न् मिलने पर माता - पिता पर मेकअप.......

शादी होने पर ससुराल वालों के अत्याचार पर मेकअप....

मायके की कमियों पर मेकअप.........

पति की बेवफाई पर मेकअप.........

रिश्तों की बदनीयती पर मेकअप........

बच्चों की कमियो पर मेकअप ........
और फिर उनकी गलतियों पर मेकअप .......

बुढ़ापे में दामाद के द्वारा किया गए अनादर का मेकअप.......

तो बहु की बेरुखी पर मेकअप........

पोता - पोती की शरारतों पर मेकअप .........

और आखिर में..बुढ़ापे में परिवार में अस्तित्वहीन होने पर मेकअप.........

एक औरत जन्म से लेकर मृत्यु तक मेकअप ही तो करती रहती है............
सिर्फ एक ही आस में कि उसे
""तारीफ के दो बोल मिल जाये""

फिर भी हमेशा उसी को जलील होना पड़ता है!!

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