#हाउसवाइफ*
🙏🌹🙏🌹🙏
#मैं थक गयी मुझे भी अब नौकरी करनी है..
बस! बड़ी सख्ती के साथ पत्नी ने पति से कहा..
तो पति ने कहा..
#मगर क्यों क्या कमी है घर में, आखिर तुम नौकरी क्यों करना
चाहती हो?
#पत्नी ने शिथिल होकर कहा..क्योंकि मैं जानती हूँ कि..
अगर छुट्टी चाहिए तो दफ्तर में काम करो घर में नहीं।
बिना तनख्वाह के सबका रौब झेलो..
इतने सारे बॉस से तो अच्छा है..कि मैं नौकरी करूँ..
इंडिपेंडेंट रहूँ..
छुट्टी भी मिलेगी,
घर में रौब भी रहेगा,
और मेरी डिग्रियाँ भी रद्दी न बनेंगी .
महत्वाकांक्षी लोग रोटी कमाते हैं बनाते नहीं..
दिन भर बाई की तरह लगे रहने वाली..
स्वयं को बनने सँवरने का समय नहीं देती..
तो उसको गयी गुजरी समझा जाता है.
बाई भी अपना रौब जमाती है..
छुट्टी करती है..
बेढंगे काम का पैसा लेती है ..
पर मैं? मैं क्या हूँ..मुझे कभी कोई एक्सक्यूज नहीं..
कोई तारीफ नहीं..
कोई वैल्यू नहीं..
और
अपेक्षाओं का अंत नहीं..
ऊपर से नो ऐबीलिटी..
मैं हूँ ही क्या
एक मामूली हाउस वाइफ..
पति ने कहा नहीं..
तुम अपने घर की बॉस हो।
मगर तुम में कुछ कमी है..
आर्डर की जगह रिक्वेस्ट करती हो..
डांटने की जगह रूठ जाती हो..
गुस्सा करने वालों को
बाहर का रास्ता दिखाने की बजाय मनाती हो..
नौकरी करके रोज बनसँवर कर..
बाहर की दुनियाँ में आपना वजूद बनाना अपने लिए जीना आसान
है..
लेकिन अपने आप को मिटाकर अपनों को बनाए रखना आसान नहीं
होता,
आसान नहीं होता खुद को भुलाकर सबका ध्यान रखना..
तुम हाउस वाइफ नहीं हाउस मैनेजर हो..
अगर तुम घर को मैनेज न करो तो हम बिखर जाएँगे..
आदतें तुमने बिगाड़ी हैं हमारी..
हम कहीं भी कुछ भी पटकते हैं..
जूते कपड़े किताबें बर्तन.
तुम समेटती रही कभी टोका होता..
ये कहकर पति ने कहा अब से मैं सच में हैल्प करुँगा तुम्हारी..
चलो मैं ये बर्तन धो देता हूँ.
सिंक में पड़े बर्तनों को छूते ही पत्नी नाराज हो गयी ..
अच्छा.. अब आप ये सब करोगे?
हटो..मैं आपको पति ही देखना चाहती हूँ बीबी का गुलाम नहीं...
पति ने कहा..अच्छा शाम को खाना मत बनाना... पिज्जा
मँगालेंगे..
कीमत सुनकर पत्नी फिर..
ये फालतू के खर्चे..
घर का बना शुद्ध खाओ..
पति ने कहा..
तुम चाहती क्या हो..
कभी कभी आराम हैल्प देना चाहूँ तो वो भी नहीं और शिकायत
भी...
पत्नी ने कहा..कुछ नहीं गुस्सा मुझे भी आ सकता है.
थकान मुझे भी हो सकती है.
मन मेरा भी हो सकता है..
बीमार मैं भी हो सकती हूँ..
बस चाहिए कुछ नहीं....
कभी कभी..झुँझलाऊँ..
गुस्सा करूँ
तो आप भी ऐसे ही झेल लेना जैसे मैं सबको झेलती हूँ
मेरा हक सिर्फ आप पर है।
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#मैं थक गयी मुझे भी अब नौकरी करनी है..
बस! बड़ी सख्ती के साथ पत्नी ने पति से कहा..
तो पति ने कहा..
#मगर क्यों क्या कमी है घर में, आखिर तुम नौकरी क्यों करना
चाहती हो?
#पत्नी ने शिथिल होकर कहा..क्योंकि मैं जानती हूँ कि..
अगर छुट्टी चाहिए तो दफ्तर में काम करो घर में नहीं।
बिना तनख्वाह के सबका रौब झेलो..
इतने सारे बॉस से तो अच्छा है..कि मैं नौकरी करूँ..
इंडिपेंडेंट रहूँ..
छुट्टी भी मिलेगी,
घर में रौब भी रहेगा,
और मेरी डिग्रियाँ भी रद्दी न बनेंगी .
महत्वाकांक्षी लोग रोटी कमाते हैं बनाते नहीं..
दिन भर बाई की तरह लगे रहने वाली..
स्वयं को बनने सँवरने का समय नहीं देती..
तो उसको गयी गुजरी समझा जाता है.
बाई भी अपना रौब जमाती है..
छुट्टी करती है..
बेढंगे काम का पैसा लेती है ..
पर मैं? मैं क्या हूँ..मुझे कभी कोई एक्सक्यूज नहीं..
कोई तारीफ नहीं..
कोई वैल्यू नहीं..
और
अपेक्षाओं का अंत नहीं..
ऊपर से नो ऐबीलिटी..
मैं हूँ ही क्या
एक मामूली हाउस वाइफ..
पति ने कहा नहीं..
तुम अपने घर की बॉस हो।
मगर तुम में कुछ कमी है..
आर्डर की जगह रिक्वेस्ट करती हो..
डांटने की जगह रूठ जाती हो..
गुस्सा करने वालों को
बाहर का रास्ता दिखाने की बजाय मनाती हो..
नौकरी करके रोज बनसँवर कर..
बाहर की दुनियाँ में आपना वजूद बनाना अपने लिए जीना आसान
है..
लेकिन अपने आप को मिटाकर अपनों को बनाए रखना आसान नहीं
होता,
आसान नहीं होता खुद को भुलाकर सबका ध्यान रखना..
तुम हाउस वाइफ नहीं हाउस मैनेजर हो..
अगर तुम घर को मैनेज न करो तो हम बिखर जाएँगे..
आदतें तुमने बिगाड़ी हैं हमारी..
हम कहीं भी कुछ भी पटकते हैं..
जूते कपड़े किताबें बर्तन.
तुम समेटती रही कभी टोका होता..
ये कहकर पति ने कहा अब से मैं सच में हैल्प करुँगा तुम्हारी..
चलो मैं ये बर्तन धो देता हूँ.
सिंक में पड़े बर्तनों को छूते ही पत्नी नाराज हो गयी ..
अच्छा.. अब आप ये सब करोगे?
हटो..मैं आपको पति ही देखना चाहती हूँ बीबी का गुलाम नहीं...
पति ने कहा..अच्छा शाम को खाना मत बनाना... पिज्जा
मँगालेंगे..
कीमत सुनकर पत्नी फिर..
ये फालतू के खर्चे..
घर का बना शुद्ध खाओ..
पति ने कहा..
तुम चाहती क्या हो..
कभी कभी आराम हैल्प देना चाहूँ तो वो भी नहीं और शिकायत
भी...
पत्नी ने कहा..कुछ नहीं गुस्सा मुझे भी आ सकता है.
थकान मुझे भी हो सकती है.
मन मेरा भी हो सकता है..
बीमार मैं भी हो सकती हूँ..
बस चाहिए कुछ नहीं....
कभी कभी..झुँझलाऊँ..
गुस्सा करूँ
तो आप भी ऐसे ही झेल लेना जैसे मैं सबको झेलती हूँ
मेरा हक सिर्फ आप पर है।
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