सच्‍ची मित्रता क्‍या है

सच्‍ची मित्रता क्‍या है
मित्रता! मित्रता वह प्रेम है जो बिना जैविक कारणों से होता है। यह वैसी मित्रता नहीं है जैसा कि तुम सामान्य रूप से समझते हो--प्रेमी या प्रेमिका की तरह। यह जो शब्द--मित्रता है, उसे किसी भी तरह यौनाकर्षण से संयुक्त कर देखना निरी मूर्खता है। यह सम्मोहन और पागलपन है। जैविकता प्रजनन के लिए तुम्हारा उपयोग कर रही है।
अगर तुम यह सोचते हो कि तुम प्रेम में हो, तो तुम गलती में हो, यह केवल हार्मोन का आकर्षण है। तुम्हारे शरीर का रसायन बदला जा सकता है और तुम्हारा प्रेम नदारद हो जाएगा। हार्मोंस का केवल एक इंजेशन, और पुरुष स्त्री बन सकता है और स्त्री पुरुष बन सकती है ।
मित्रता है बिना यौनाकर्षण का प्रेम। यह एक दुर्लभ घटना बन गई है। अतीत में यह महत्वपूर्ण घटना रही है, पर अतीत की कुछ महान अवधारणाएं बिलकुल खो गई हैं। यह बहुत आश्चर्यजनक है कि कुरूप चीजें हमेशा जिद्दी होती हैं,वे आसानी से नहीं मरतीं; और सुंदर चीजें बहुत कोमल होती हैं, वे आसानी से मर जाती हैं और गुम हो जाती हैं।
आज कल मित्रता को केवल यौनाकर्षण के संबंध में या आर्थिक स्तर पर या सामाजिकता के तौर पर ही समझा जाता है, वह महज परिचय है या जान-पहचान है। मित्रता का मतलब है कि आवश्यकता पड़ने पर तुम स्वयं का बलिदान करने को भी तत्पर हो । मित्रता का मतलब है कि तुमने किसी अन्य व्यक्ति को स्वयं से ज्यादा महत्वपूर्ण माना। यह व्यापार नहीं है। यह अपने आप में पवित्र प्रेम है।
जिस तरह से तुम अभी हो, वैसे ही इस तरह की मित्रता संभव है। अचेतन व्यक्ति भी इस तरह की मित्रता रख सकते हैं। लेकिन जब तुम स्वयं के प्रति ज्यादा सजग होने लगते हो तब मित्रता मैत्री में बदलने लगती है। मैत्री का आशय ज्यादा व्यापक, ज्यादा बडा आकाश है। मैत्री के मुकाबले मित्रता छोटी चीज है। मित्रता टूट सकती है और मित्र शत्रु बन सकता है। मित्रता में इस तरह की स्थिति बदलने की संभावना हमेशा बनी रहती है।
इस संबंध में मुझे मैक्यावली का स्मरण होता है, जिसने विश्व के राजकुमारों को मार्गदर्शन किया है उसकी महान किताब " दि प्रिन्स' में। उनमे से एक परामर्श यह था: ऐसी कोई बात अपने मित्र को मत बताओ जो कि तुम अपने शत्रु को नहीं बता सकते क्योंकि वह व्यक्ति जो आज मित्र है, कल शत्रु बन सकता है। और उन परामर्शों में से एक परामर्श यह भी था कि अपने शत्रु के संबंध में भी ऐसा मत बोलो, जो उसके विरोध में हो, क्योंकि शत्रु भी कल मित्र बन सकता है। तब तुम्हारे लिए स्थिति काफी अजीब होगी।
मैक्यावली की यह साफ अंतर्दृष्टि है कि हमारा साधारण प्रेम नफरत में बदल सकता है, हमारी मित्रता किसी भी क्षण शत्रुता में बदल सकती है। यह आदमी के मन की अचेतन दशा है, यहां प्रेम के पीछे नफरत छिपी होती है। यहां तुम उस व्यक्ति को भी घृणा करते हो, जिनसे तुम्हें प्रेम है; पर इसके प्रति अभी तुम्हारी सजगता नहीं है।
मैत्री केवल तब ही संभव बन सकती है जब तुम वास्तविक और प्रामाणिक होते हो और जब तुम स्वयं के प्रति पूर्ण रूप से सजग होते हो। और इस सजगता में से यदि प्रेम निकलता है तो वह मैत्री है। और यह जो मैत्री है वह कभी भी विपरीत में नहीं बदलती। ध्यान रहे, यह कसौटी है, जीवन के महानतम मूल्य है केवल वे ही हैं जो विपरीत में नहीं बदलते; सच तो यह है कि यहां कुछ भी विपरीत नहीं है।


1 टिप्पणी:

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    That's because deep inside these 12 words is a "secret signal" that fuels a man's instinct to love, idolize and care for you with all his heart...

    =====> 12 Words Who Trigger A Man's Love Impulse

    This instinct is so hardwired into a man's genetics that it will make him try harder than before to love and admire you.

    Matter-of-fact, triggering this mighty instinct is absolutely mandatory to getting the best possible relationship with your man that as soon as you send your man one of the "Secret Signals"...

    ...You will immediately find him expose his soul and heart to you in such a way he haven't experienced before and he'll recognize you as the only woman in the galaxy who has ever truly attracted him.

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