किडनी बेचने से कितनी रकम मिलेगी..एक मां की ऐसी बेचारगी सुनकर कलेजा कांप गया


किडनी बेचने से कितनी रकम मिलेगी..एक मां की ऐसी बेचारगी सुनकर कलेजा कांप गया
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किडनी बेचने से कितनी रकम मिलेगी, यह बिछिया की वीना श्रीवास्तव को नहीं पता, पर वह किडनी बेचने को तैयार हैं। उन्हें भरोसा है किडनी बेचने से उतनी रकम मिल जाएगी, जिससे बेटी की शादी कर सकें। हर मां की तरह ही अपनी बेटी को शान से विदा करें।

एक मां की ऐसी बेचारगी सुनकर कलेजा कांप गया। वह छह महीने से अफसरों का चक्कर काट रही हैं। बता रही हैं कि बेटी की शादी 23 नवंबर को है। कुछ मदद नहीं मिली तो शादी नहीं कर पाएंगी। इसके बावजूद किसी का दिल नहीं पसीजा। अब थक-हारकर वीना किडनी बेचने को तैयार हैं।

दो बच्चों के पिता और बिछिया निवासी सच्चिदानंद श्रीवास्तव की पत्नी का निधन हुआ तो उन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर की वीना श्रीवास्तव से 1995 में शादी कर ली। एक साल तक सब कुछ ठीक चला। 1997 में बेटी पैदा हुई तो सच्चिदानंद ने विवाद खड़ा कर दिया।

पति ने कहा पहली पत्नी से दो बेटे हैं। अब बेटी को जायदाद का हिस्सा नहीं देंगे। विवाद बढ़ा और मार्च 2002 में वीना का पति से तलाक हो गया। अब सच्चिदानंद नागालैंड के दीमापुर में अपने बच्चों के पास रहते हैं। वीना बिछिया में ही किराये के मकान में रहती हैं। वीना की बेटी अब 21 साल की हो गई है।

मुजफ्फर नगर बिहार के रवि रंजन श्रीवास्तव से उसकी शादी तय है। 22 नवंबर को हल्दी की रस्म और 23 नवंबर को शादी है। अब वीना परेशान हैं कि बिना पैसे के शादी करें तो कैसें? इसी उधेड़बुन के साथ वीना बृहस्पतिवार को अमर उजाला के सिटी ऑफिस पहुंचीं। वह बोलीं, जिस लड़के से शादी तय हुई है, उसका परिवार बहुत अच्छा है।

वे झारखंड के बैजनाथ धाम देवघर में शादी करने को तैयार हैं। इस पर बहुत खर्च नहीं आएगा, फिर भी बेटी को अच्छे से विदा कर सकूं, इसके लिए कुछ पैसे की जरूरत होगी। शादी अनुदान के लिए ऑनलाइन फार्म भरा है लेकिन अनुदान 23 नवंबर से पहले मिल पाएगा, इस पर जिला समाज कल्याण अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। पंजीकरण न होने से श्रम विभाग की शादी योजना का लाभ हमें नहीं मिल सकता है।

शाहपुर और महिला थानाध्यक्ष को पत्र देकर अनुरोध किया था कि तलाक देने वाले पति सच्चिदानंद से कुछ आर्थिक सहायता दिला दें लेकिन वह भी नहीं हो सका। सच्चिदानंद ने एक भी रुपये देने से मना किया है।

डीएम और एक विधायक से मिल चुकी हैं लेकिन हर जगह से निराशा हाथ लगी। अब किडनी बेचकर पैसा जुटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। शिकायती पत्र के साथ वीना बृहस्पतिवार को एसएसपी शलभ माथुर से मिलने वाली थीं लेकिन वीआईपी मूवमेंट की वजह से ऐसा नहीं हो सका। अब वह शुक्रवार को एसएसपी से मिलकर मदद की गुहार लगाएंगी।

‘बेटी का नाम, फोटो न छापिएगा प्लीज’

अपना दर्द साझा करने वीना अमर उजाला दफ्तर जरूर पहुंचीं लेकिन बदनामी का डर उन्हें सताता रहा। बोलीं, मेरा नाम, फोटो छाप लीजिए लेकिन बेटी का नहीं। उसे नहीं पता कि मैं रकम जुटाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हूं। वह सुबह काम पर जाती है, फिर मैं रकम जुटाने के लिए निकल जाती हूं।

बेटी की कमाई से चल रहा खर्च
पति से तलाक के बाद वीना ने प्राइवेट विद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। तब बेटी पांच साल की थी। कड़ी मेहनत से उन्होंने बेटी को पढ़ाया। अब वीना की नौकरी छूट गई है। हालांकि जिस बेटी की शादी तय हुई है, वह गोलघर स्थित एक कपड़े की दुकान में काम करती है। महीने में उसे करीब पांच हजार रुपये मिलते हैं। 1500 रुपये मकान के किराये में चले जाते हैं। 3500 रुपये में खाना, कपड़ा सहित अन्य व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं।

अकेले रहने को भी तैयार हैं वीना
बेटी की शादी के बाद वीना अकेले रहने को तैयार हैं। वह कहती हैं कुछ छोटा-मोटा काम करके रह लूंगी। बेटी अच्छे से रहे, बस यही तमन्ना है। जिस लड़के से शादी तय हुई है, वह दिल्ली में जॉब करता है। शादी के बाद बेटी भी दिल्ली में रहेगी। यह सोचकर मन को शांति मिलती है। सच्चिदानंद का बिछिया में मकान है, जिसमें किरायेदार रहते हैं।

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