तुम मायके क्यों नहीं चली जाती।




"मम्मा मैं आपसे बाद में बात करती हूं, अभी बहुत काम है घर में, आज माता की चौंकी रखी जा रही है घर में। शादी के बाद पहली पूजा है मेरी, सारी तैयारी की जिम्मेदारी मेरी ही है, मैं नहीं चाहती कि कुछ कमी रह जाये।" इतना कह कर अनन्या ने कॉल काट दिया।सिर्फ छह महीने ही हुए थे अनन्या और प्रखर की शादी को, वैसे तो काम काज में ठीक-ठाक है वो लेकिन इस तरह के पूजा पाठ या फैमिली फंक्शन में उसका उत्साह देखते बनता था। माता की चौंकी का कार्यक्रम अच्छे से निपट गया, लेकिन अनन्या का कमर दर्द शुरू हो गया। उठना-बैठना मुश्किल हो गया, डॉक्टर को भी दिखाया गया लेकिन दर्द वैसे का वैसे ही बना रहा। डॉक्टर ने बेड रेस्ट करने को कहा।प्रखर और उसकी माँ ने अनन्या को सुझाया कि तुम मायके क्यों नहीं चली जाती, वहाँ तुम्हे आराम मिलेगा। शादी को ज्यादा समय भी नहीं हुआ था, ऐसे में पति से दूर रहने का ख्याल, लेकिन कहना भी अच्छा नहीं लग रहा था कि नहीं मैं कही नहीं जाऊंगी यही रहूंगी।भाई लेने भी आ गया, भारी मन से विदा हुई। वैसे तो लड़कियों को मायके जाना पसंद है, लेकिन जब बात पति के बिना रहने की आती है तब सारा मजा किरकिरा हो जाता है, और शादी को इतना कम समय बीता हो तो और भी ज्यादा।"कितने अच्छे है तेरे ससुराल वाले जो तुझे मायके भेज दिए, वरना बाकी लोग तो कितना चिक-चिक करते है मायके के नाम से।" अनन्या की माँ अपनी बेटी की किस्मत पर नाज करती।पंद्रह दिन बाद जब अनन्या ठीक हो गई थी प्रखर उसे लेने आ गया।धीरे-धीरे समय बीतने लगा। अनन्या प्रेग्नेंट हुई। जैसे ही तीसरा महीना लगा खाना-पीना छूट गया, उल्टियां, जी मिचलाना जैसी समस्याएं आने लगी। शरीर भारी-भारी लगने लगता, उठती तो लगता उल्टी हो जाएगी, शरीर कमजोर हो गया। उसकी हालत देख कर पति और सास ने फिर उसे मायके जाने के लिए कहा-"बेटा वहां रहोगी तो आराम रहेगा, डिलेवरी के लिए परेशान ना होना प्रखर भी आ जायेगा डिलीवरी के समय।अनन्या अपने इस खुशनुमा पल को प्रखर के साथ बिताना चाहती थी, लेकिन इस बार भी दिल की बात दिल मे ही रह गई। अपनी माँ को कॉल कर के बताया तो माँ भी खुश हो गई "अरे वाह बेटा मैं कल ही भेजती हूं तेरे भाई को तुझे लेने के लिए, नज़र ना लगे ऐसे परिवार को कितना सोचते है तेरे बारे में"

फिर से अनन्या मायके आ गई। बीच-बीच में प्रखर आ जाता मिलने। छह महीने मुश्किल से कटे और वो दिन भी आ गया जब अनन्या ने एक बेटे को जन्म दिया। सास-ससुर भी आये थे प्रखर के साथ पोते को देखने। एक महीने बाद दिन रखवा कर फिर बिदाई हुई अनन्या की। अपने बेटे के साथ ससुराल आ गई। अब तो सारा समय बच्चें के देखभाल में बीतता, घर के कामों में सास की मदद नहीं कर पाती ऊपर से सास की ही मदद लेनी पड़ती बच्चा सम्भालने के लिए। कुछ दिन तो ऐसे ही बीते फिर सासूमाँ ने भी हाथ खड़े कर दिए-"बेटा एक काम करो जब तक बच्चा बड़ा नहीं हो जाता तब तक मायके में रहो, वहां तुम्हारी और बच्चें की अच्छे से देखभाल हो जाएगी।" अब अनन्या को लगने लगा कि ये घर उसका है ही नहीं, जब ससुराल वाले चाहे भगा देते है जब चाहे बुला लेते है। दबे शब्दों में विरोध भी किया उसने लेकिन कोई फायदा नहीं, प्रखर भी चाहता था कि अनन्या मायके में रहे।मायके में उसका और बच्चें का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाने लगा। लेकिन अनन्या के मन में बात चुभ गई, क्या सच में मेरे ससुराल वाले मेरा भला सोचते है या अपनी जिम्मेदारियों से भागते है?? कभी कोई तीज त्यौहार में मुझे मायके नहीं भेजा लेकिन बीमारी में मायके जाने के लिए क्यों कहते है।छह महीना मायके में रहने के बाद प्रखर लेने आ गया। अब बच्चा भी थोड़ा बड़ा हो गया था, अब अनन्या घर और बच्चा दोनों सम्भालने लगी थी। बच्चा एक साल का हो गया। तब से अनन्या मायके नहीं गई, ना राखी में ना किसी भी त्यौहार में।एक दिन अचानक अनन्या के पिताजी का फ़ोन आया, घबराई आवाज में उन्होंने कहा-"बेटा तेरी मम्मी सीढ़ियों से गिर गई है, मैं हॉस्पिटल में हूं, डॉक्टर ने कहा है कि पैर की हड्डी फ्रैक्चर हो गई है, तू आ जाती बेटा तो आराम रहता।अनन्या रोते-रोते सासूमाँ को पूरी बात बता कर मायके आ जाती है, दो दिन बाद डॉक्टर अनन्या की माँ को डिस्चार्ज कर देते है, लेकिन उन्हें आराम की हिदायत देते हैं। चार दिन बीतने के बाद प्रखर फ़ोन कर के अनन्या को वापस बुलाता है-"कल आ रहा हूं लेने तैयार रहना, मम्मी के सेवा के लिए बहुत लोग है तुम्हारी जरूरत यहां ज्यादा है।" प्रखर की बात सुन कर अनन्या को बहुत गुस्सा आया, अब तक वो जो ना कह पाई वो भी कह डाली-"तुमको शर्म है या नहीं प्रखर, इस बार चार दिन बाद ही लेने आ रहे हो, ये जानते हुए भी की मेरी माँ को मेरी ज्यादा जरूरत है। ऐसे तो मेरी हर तकलीफ में कहते थे कि तुम मायके क्यों नहीं चली जाती, आज तुम मेरी माँ को इतनी तकलीफ होने के बाद भी मुझे वापस लेने आ रहे हो, मेरा मायका मेरा हर तकलीफ में साथ दिया है इसलिए जब तक मेरी जरूरत यहां होगी मैं तब तक रहूंगी, और रही बात आने की तो वो मेरा घर है मेरा जब मन होगा तब आऊँगी मुझे सिखाने की जरूरत नहीं है।" इतना कह कर अनन्या ने कॉल काट दिया। 🙏🙏

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