फिल्मी स्टोरी से कम नही, तबेले में गोबर उठाने वाली सोनल बनी जज..

कभी लोग पापा को अपमानित करते, तबेले में गोबर उठाने वाली सोनल बनी जज।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
Delhi: जिंदगी में जज्बा, कड़ी मेहनत और अनुशासन से नामुमकिन को भी मुमकिन बनाया जा सकता है। इसे साबित किया है राजस्थान के दूधवाले की एक बेटी ने। 26 वर्षीय सोनल शर्मा राजस्थान न्यायिक सेवा की परीक्षा पास कर जज बनने जा रही हैं। 2017 में न्यायिक सेवा की भर्ती परीक्षा में मात्र तीन नंबरों से फेल रहीं सोनल ने मेहनत करना नहीं छोड़ा।
एक साल बाद फिर उन्होंने दूसरी बार परीक्षा दी मगर एक नंबर से असफल हो गईं। आगे उनकी जिंदगी में जो हुआ वो किसी चमत्कार से कम नहीं हुआ। राजस्थान की लेकसिटी उदयपुर जिला मुख्यालय पर प्रताप नगर में दूध की डेयरी चलाने वाले की बेटी सोनल शर्मा ने अपनी जीत का परचम लहरा दिया। सोनल जज बनी है।
राजस्थान न्यायिक सेवा आरजेएस प्रतियोगी भर्ती परीक्षा 2018 की वेटिंग लिस्ट में सोनल शर्मा ने भी जगह बनाई है। परिणाम बुधवार को घोषित किया गया। गायों के तबेले में काम कर अपने पिता का हाथ बांटने वाली यह है सोनल शर्मा Sonal Sharma जिन्होंने राजस्थान न्यायिक सेवा की प्रतियोगी परीक्षा Judge में अपनी जीत के झंडे गाड़ दिए।
सोनल के सफलता की कहानी किसी हिन्दी फिल्म की स्टोरी से कम नही है। जिसमें फुल स्टोरी के साथ ड्रामा भी है। सोनल की मानें तो उसकी इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके पिता का ही है। जिन्हें देख कर उसके मन में कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिलती। बचपन से पिता के साथ काम में लगी कभी भी हार नही मानी।
सोनल अपने पिता के तबले में गाय का गोबर उठाने का काम बचपन से ही स्टार्ट कर दिया था। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई पढ़ाई के साथ तबेले में अपने पिता के काम में अपना हाथ बंटाने लगी। गाय का गोबर उठाना, दूध निकालना और तबेले की साफ सफाई करना मानों सोनल के जीवन का उद्देश्य बन गया, सोनल ने कभी अपने सपनो से पीछे नही हटी।
इतना करने के बाद भी उनका हौसला कम नही हुआ। लेकिन सोनल को अपने सपनों को ऊंची उड़ान देने के साथ अपने माता पिता के नाम को भी रोशन करना था। ऐसे में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उनसे अपनी पढ़ाई की। हर बार मैरिड आने की उसने जुनून था।
जब मैं चौथी क्लास में थी, तब सभी बच्चों की तरह मुझे भी पिता के साथ घूमने जाने का शौक़ था। पिता जी घर घर दूध पहुँचाने जाते थे, तो मैं भी साथ जाया करती थी। अक्सर लोग पापा को किसी न किसी बात पर डांट दिया करते थे, उन्हें कभी सम्मान नही देते थे, लेकिन वह फिर भी हंसते ही रहते थे।
एक दिन पापा के साथ दूध देकर घर लौटते ही मैंने मम्मी को कहा, मैं अब पापा के साथ नहीं जाउंगी, क्योंकि मुझे शर्म आती है। वो शर्म इसलिए थी क्योंकि हमारे लिए पापा को बिना गलती के लोग उनको अपमानित करते रहते है।
आज उसकी मेहनत सफल हुई। पापा को मुश्किलों से भी मुस्कुराते हुए लड़ते देखने से ही हौसला बढ़ता रहा। जब एक चयनित उम्मीदवार ने इस सेवा में आगे ना बढ़ने का निर्णय लिया, तब सोनल शर्मा को ये अवसर मिला।
एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने की वजह से सोनल शर्मा अपनी पढ़ाई के लिए ट्यूशंस और पढ़ने की सामग्री भी नहीं ले पाती थी। सोनल साइकिल से अपने कॉलेज तक जाती और लाइब्रेरी में पढ़ाई किया करती। सोनल ने बताया कि कभी-कभी कॉलेज जाते समय में मेरी चप्पल गोबर में सनी हुई होती थी, मुझे अपने क्लासमेट्स को ये बताने में शर्म आती थी कि मैं इस दूधवाले की बेटी हूं, लेकिन आज मुझे इस बात पर गर्व होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें