किसी फिल्मी कहानी से कम नही पेट्रोल पंप में काम करने वाले के IPS बेटे की प्रेरणा दायक कहानी..

हमारे देश में सबसे कठिन परीक्षा में से एक UPSC की परीक्षा को माना जाता है। यह परीक्षा तीन चरणों में होती है जिसको पास करने वाले केंडिडेट कलेक्टर, एसपी और ग्रेड ए सेवाओं में राजपत्रित अधिकारी बनते हैं। UPSC की परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत के साथ पढ़ाई करनी पड़ती है। ऐसे में यदि कोई UPSC की परीक्षा को पहली ही कोशिश में पास कर ले तो यह मानना पड़ेगा कि उसमें कुछ तो अलग बात है।
प्रदीप एक बहुत ही साधारण परिवार से हैं और घर की मौजदा परिस्थिति देखते हुए उन्होंने निश्चय कर लिया था कि वे पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास करेंगे। प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते थे और घर बेचकर प्रदीप की पढ़ाई और दिल्ली में रहने की व्यवस्था की थी। प्रदीप इन सब बातों से बहुत टूटने लगे थे, लेकिन यह दबाव उनके रास्ते में बाधा नही बनी, उन्होंने इस परिस्थिति में भी अपने होसलो को मजबूत रखा, जो उन्हें सफलता के लिए दिन-रात मोटिवेट करता था।
आखिरकार प्रदीप की डेढ़ साल की कड़ी मेहनत रंग लाई और उनका चयन हो गया। प्रदीप बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं। लेकिन उनके पिता कुछ अच्छे काम की खोज में काफी साल पहले इंदौर शिफ्ट हो गए थे। हालांकि गांव में पैतृक भूमि की देखभाल के चलते घर की महिलाएं गांव में रह गईं और पुरुष इंदौर चले आए।
प्रदीप भी बेहतर पढ़ाई के अवसर के लिए बिहार से इंदौर शिफ्ट हो गए। मीडिया में दिए इंटरव्यू में प्रदीप ने अपने इस सफर के बारे में खुलकर सारी बाते शेयर की थी। प्रदीप सिंह को यूपीएससी की तैयारी करने के उन्हें दिल्ली जाना था। पैसों की कमी को देखते हुए उनके पिता ने अपनी जमा पूंजी से बनाया हुआ घर बेच दिया और किराये के मकान में रहने लगे।
प्रदीप सिंह अपने पिता के इस त्याग को कभी भूल नहीं सके और उन्होंने अपना ध्यान सिविल सर्विस परीक्षा पर रखा। कड़ी मेहनत ओर अपने बुलन्द होसलो के दम पर आखिरकार उन्होंने साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली।
प्रदीप ने यूपीएससी परीक्षा 2018 में सफलता हासिल की थी। उस समय अपने पहले ही प्रयास में प्रदीप 93वां स्थान हासिल कर महज 22 की उम्र में IAS बने। फिलहाल भारजीय राजस्व सेवा IRS में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर कार्यरत हैं। यूपीएससी 2019 की परीक्षा में प्रदीप ने फिर किस्मत को आजमाया और ​इस बार 26वींं रैंक मिली। कठिन परिस्थितियों के बाद भी प्रदीप ने कभी हार नही मानी। अपने बुलन्द होसलो से अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन रात कठिन परिश्रम करने लगे।

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