फिर पंडित जी राजा के पास पहुंचे और अपनी फरियाद सुनाई राजा ने कहा कल हमारी सवारी निकलेगी और तुम उस दुकानदार की दुकान के पास में ही खड़े रहना दूसरे दिन राजा की सवारी निकली सभी लोगों ने फूल मालाएं पहनाई और किसी ने आरती उतारी पंडित जी उसी दुकान के पास खड़े थे जैसे ही राजा ने पंडित जी को देखा तो उसने उन्हें प्रणाम किया और और कहां गुरु जी आप यहां कैसे हैं आप तो हमारे गुरु हैं आइए इस बग्गी में बैठ जाइए वे दुकानदार यह सब देख रहा था उसने भी आरती उतारी और राजा की सवारी आगे बढ़ गई। थोड़ी दूर चलने के बाद राजा ने पंडित जी को बग्गी से उतार दिया और कहां पंडित जी हमने आपका काम कर दिया है अब आगे आपका भाग्य उधर वह दुकानदार यह सब देखकर हैरान था कि पंडित जी की तो राजा से बहुत ही अच्छी सांठगांठ है कहीं वह मेरा कबाड़ा ही ना करा दे दुकानदार ने तत्काल अपनी मुनीम को पंडित जी को ढूंढ कर लाने को कहा पंडित जी एक पेड़ के नीचे बैठकर कुछ विचार विमर्श कर रहे थे मुनीम जी बड़े ही आदर के साथ उन्हें अपने साथ ले आएं दुकानदार ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और बोला पंडित जी मैंने काफी मेहनत की और पुराने खाते को देखा तो पाया कि खाते में ₹500 जमा है और पिछले 10 सालों में ब्याज के साथ ₹12000 भी हो गए हैं पंडित जी आपकी बेटी भी तो मेरी बेटी जसी है अतः ₹1000 आप मेरी तरफ से ले जाइए और उसे बेटी की शादी में लगा दीजियेगा।
इस प्रकार उस दुकानदार ने पंडित जी को ₹13500 देकर बड़े ही प्रेम के साथ विदा किया।
📢 तात्पर्य -: जब मात्र एक राजा के साथ संबंध होने भर से हमारी विपदा दूर हो जाती है, तो हम अगर इस दुनियां के राजा यानी कि परमात्मा से अपना संबंध जोड़ लिए तो हमें कोई भी समस्या कठिनाई या फिर हमारे साथ किसी भी तरह के अन्याय का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता अक्सर लोग मुसीबतों में सोचते हैं कि हमारा साथ देने वाला कोई नहीं है मुसीबतों की घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहने वाला कोई नहीं है तब एक बार ऊपर आसमान की ओर देखना और सोचना कि तुम अकेले नहीं हो सर्वशक्तिमान ईश्वर हर कदम पर आपके साथ खड़ा है।
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✍️ जे०पी० बब्बू
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