जुबान से निकला शब्द दूसरे पर बड़ा गहरा असर डाल देते हैं बेशक कुछ लोगों की जुबान ओं से शैतानी बोल निकलते हैं जिससे एक हंसते खेलते परिवार में कलह पैदा हो जाता है

एक सहेली ने दूसरी सहेली से पूछा बच्चा पैदा होने की खुशी में तुम्हारे पति ने तुम्हें क्या तोहफ़ा दिया ? सहेली ने कहा कुछ भी नहीं।
उसने सवाल करते हुए पूछा कि क्या यह अच्छी बात है? क्या उसकी नजर में तुम्हारी कोई कीमत नहीं लफ्जों का यह जहरीला बम गिरा कर वह सहेली दूसरी सहेली को अपनी फिक्र में छोड़कर चलती बनी।
थोड़ी देर बाद शाम के वक्त उसका पति घर आया और पत्नी का मुंह लटका हुआ पाया फिर दोनों में झगड़ा हुआ एक दूसरे को लानतें भेजी, मारपीट हुई और आखिर पति-पत्नी में तलाक हो गया।
जानते हैं प्रॉब्लम्स की शुरुआत कहां से हुई उस फिजूल जुमले से जो उसका हालचाल जानने आई सहेली ने कहा था।

रवि ने अपने जिगरी दोस्त पवन से पूछा तुम कहां काम करते हो पवन ने कहाँ फला दुकान में।
रवि ने कहा कितनी तनखा देता है मालिक पवन ने कहा 18000 
रवि ने कहा ₹18000 बस तुम्हारी जिंदगी कैसे कटती है इतने पैसों में पवन ने गहरी सांस खिंचते हुए कहा बस यार क्या बताऊ। मीटिंग खत्म हुई कुछ दिनों के बाद पवन अब अपने काम से बेरुखा हो गया और तनख्वाह बढ़ाने की डिमांड कर दी जिसे मालिक ने रद्द कर दिया पवन ने जॉब छोड़ दी और बेरोजगार हो गया पहले उसके पास काम था अब काम नहीं रहा।

एक साहब ने एक शख्स से कहा जो अपने बेटे से अलग रहता था। तुम्हारा बेटा तुमसे बहुत कम मिलने आता है क्या उसे तुमसे मोहब्बत नहीं रही बाप ने कहा बेटा ज्यादा व्यस्त रहता है उसका काम का शेड्यूल बहुत सख्त है उसके बीवी बच्चे हैं उसे बहुत कम वक्त मिलता है।
पहला आदमी बोला वाह यह क्या बात हुई तुमने उसे पाला पोसा उसकी हर ख्वााहिश पूरी की अब उसको बुढ़ापे में व्यस्तता की वजह से मिलने का भी वक्त नहीं मिलता है, तो यह ना मिलने का बहाना है।
इस बातचीत के बाद बाप के दिल में बेटे की प्रति शंका पैदा हो गई बेटा जब भी मिलने आता वह यही सोचता रहता कि उसके पास सबके लिए वक्त है सिवाय मेरे।

याद रखिए जुबान से निकले शब्द दूसरे पर बड़ा गहरा असर डाल देते हैं बेसक कुछ लोगों की जुबान से शैतानी बोल निकलते हैं हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत से सवाल हमें बहुत मासूम लगते हैं।
जैसे तुमने यह क्यों नहीं खरीदा? तुम्हारे पास यह क्यों नहीं है? तुम इस शख्स के साथ पूरी जिंदगी कैसे चल सकती हो?
तुम उसे कैसे मान सकते हो? वगैरा-वगैरा।
इस तरह के बेमतलबी फिजूल के सवाल नादानी में या बिना मकसद के हम पूछ बैठते हैं।
जबकि यह भूल जाते हैं कि हमारे यह सवाल सुनने वाले के दिल में नफरत या मोहब्बत का कौन सा बीज बो रहे है।
 
आज के दौर में हमारे इर्द-गिर्द समाज या घरों में जो टेंशन टाइट होती जा रही है।
उसकी जड़ तक जाया जाए तो अक्सर उसके पीछे किसी और का हाथ होता है।
वह यह नहीं जानते कि नादानी में या जानबूझकर बोले जाने वाले जुमले किसी की जिंदगी को तबाह कर सकते हैं।
ऐसी हवा फैलाने वाले हम ना बने लोगों के घरों में अंधे बंद कर जाओ और वहां से गूंगे बनकर निकलो आंख बंद करके एक बार विचार जरूर कीजिए।

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✍️ जे०पी० बब्बू

जुबान से निकला शब्द दूसरे पर बड़ा गहरा असर डाल देते हैं बेशक कुछ लोगों की जुबान ओं से शैतानी बोल निकलते हैं जिससे एक हंसते खेलते परिवार में कलह पैदा हो जाता है

2 टिप्‍पणियां:

  1. सर्वप्रथम आपको आपके लेख के लिए बहुत बहुत बधाई🙏💐
    एवं बहुत ही बेहतर लेख रहा जो की आजकल बहुत तेजी से देखने को मिल रहा है और हमारे समाज को एक अलग दिशा में लेकर जा रहा है उन्हें काफी मदद मिलेंगी जो दूसरों की बातों मे आकर खुद को दुखी कर लेते है।

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