एक कंपनी का मालिक कई दिनों से परेशान था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके कर्मचारी खुश क्यों नहीं हैं? सभी कर्मचारी निराश और दुखी रहते थे. उनमें आत्मविश्वास नहीं था. काम दिया जाता तो वो करते, लेकिन बेमन से. इसका असर कंपनी की परफॉर्मेंस में दिखने लगा. मालिक ने सोचा कि इनके अंदर उत्साह जगाने की जरूरत है, इनमें आत्मविश्वास पैदा करना होगा.
अगले दिन जब कर्मचारी ऑफिस पहुंचे तो देखा कि कंपनी के मेन डोर पर एक नोटिस लगा था कि कल तक जो व्यक्ति आपको आगे बढऩे से रोक रहा था, उसकी मौत हो गई है. आप काम शुरू करने से पहले बेसमेंट में जाकर एक-एक कर उससे आखिरी बार मिल सकते हैं. सभी कर्मचारी खुश थे कि उन्हें आगे बढऩे से रोकने वाला नहीं रहा. पर सभी यह भी सोच रहे थे कि वो था कौन? कर्मचारी एक-एक कर बेसमेंट में जाते और फिर चुपचाप वापस अपने काम पर लग जाते. असल में अंदर जो ताबूत रखा था, उसमें एक शीशा रखा था और एक छोटा-सा नोट लिखा था- 'केवल आप ही वो इंसान हैं, जिसने अपनी क्षमता के दायरे को छोटा बनाया हुआ है. आप खुद अपनी सफलता-असफलता के लिए जिम्मेदार हैं.
बात बिल्कुल सही है. हममें से ज्यादातर लोग ऐसा ही सोचते हैं कि हम जहां काम करते हैं, वहां आगे बढऩा मुश्किल है. नई जगह मौका मिले तो अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें. लेकिन यकीन मानिए कंपनी, बॉस और दोस्त बदलने से आपकी जिंदगी नहीं बदलती. जिंदगी तभी बदलेगी, जब आप बदलेंगे. मन में जो आपने छोटा दायरा बना रखा है, उस दायरे से बाहर निकलना होगा. जब एक अंडा बाहर से फूटता है, तो एक जिंदगी का अंत होता है और जब वही अंडा अंदर से फूटता है, तो एक जिंदगी का जन्म होता है. अपने अंदर की क्षमता को पहचानें, उसे जगाएं. आप अगर असफल हैं, तो इसके जिम्मेदार आप खुद हैं. दूसरों को दोष देना बंद करें, क्योंकि इससे आप अपना ही नुकसान करेंगे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें