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मंदिर जाने के पीछे कारण केवल आशीर्वाद प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि वहां जाकर मन को शांति और शरीर को ऊर्जा मिलती है।
🔔मंदिर जाने के बाद जो भी क्रिया हम करते है जैसे फूल चढ़ाना ,घंटी बजाना ...ये सब आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
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जो लोग मंदिर जाते है वो मंदिर के द्वार पर टंगी हुई घंटी बजाते है ये इसलिए किया जाता है क्यूंकि जब ये घंटियां एक ध्वनि पैदा करती है तो हमारे दिमाग के दोनों भागों लेफ्ट और राइट में एकता पैदा होती है घंटी बजाने के बाद उसकी गूंजती हुई ध्वनि 7 सेकंड तक रहती है और इस 7 सेकंड में हमारे शरीर के सभी सात चिकित्सा केन्द्र एक्टिव हो जाते है।
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एक बार जब आप कपूर/दीए से प्रार्थना कर लेते हैं तो कपूर/दीए की लपटों पर अपने हाथ डाल अपने हाथों को गर्म करके और फिर आप अपने गर्म हाथों से अपनी आँखें पर स्पर्श करते है गर्म हाथों को आँखों पर रखने से स्पर्श सेंस का एक्टिव हो जाती है ऐसा करने से हमारी स्पर्श भावना एक्टिव रहती है।
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विशिष्ट फूलों की महक की वजह से ही गुलाब की पंखुड़ियों, चमेली, गेंदा जैसे फूल चढ़ाए जाते है जब फूल, कपूर और अगरबत्ती की खुशबू सब एक साथ मिल जाती है तो हमारी गंध भावना एक्टिव हो जाती है और हमारे मन को शांति देती है।
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हम जब भी मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें चांदी या ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ पानी जिसमें तुलसी पत्ता होता है वो पीने के लिए देते उस जल को जब हम पीते है तो चांदी या ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ होने के कारण हमारा शरीर तीनों दोषों वात, कफ और पित्त से मुक्त हो जाता है।
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जब हम मंदिर की परिक्रमा करते है तो हमारी पांचो इंद्रियां - सुनना, देखना, स्पकर्श, सूंघना और स्वाद सभी एक्टिव हो चुकी होती है परिक्रमा करने से शरीर में जो ओर कोई नेगेटिव कारक बचते है वो मंदिर का शुद्ध वातावरण अब्जॉर्ब कर लेता है।
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आंखों को प्रार्थना करने के लिए जब बंध करते है और जब हम अपनी आँखें खोलते है तो कपूर या दीया जो भी जलाया गया था उसकी ओर देखते ही छठी सेंस एक्टिव हो जाती है।
।।👣जय श्री राधे 🙏जय श्री कृष्णा👣।।
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मंदिर जाने के पीछे कारण केवल आशीर्वाद प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि वहां जाकर मन को शांति और शरीर को ऊर्जा मिलती है।
🔔मंदिर जाने के बाद जो भी क्रिया हम करते है जैसे फूल चढ़ाना ,घंटी बजाना ...ये सब आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
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जो लोग मंदिर जाते है वो मंदिर के द्वार पर टंगी हुई घंटी बजाते है ये इसलिए किया जाता है क्यूंकि जब ये घंटियां एक ध्वनि पैदा करती है तो हमारे दिमाग के दोनों भागों लेफ्ट और राइट में एकता पैदा होती है घंटी बजाने के बाद उसकी गूंजती हुई ध्वनि 7 सेकंड तक रहती है और इस 7 सेकंड में हमारे शरीर के सभी सात चिकित्सा केन्द्र एक्टिव हो जाते है।
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एक बार जब आप कपूर/दीए से प्रार्थना कर लेते हैं तो कपूर/दीए की लपटों पर अपने हाथ डाल अपने हाथों को गर्म करके और फिर आप अपने गर्म हाथों से अपनी आँखें पर स्पर्श करते है गर्म हाथों को आँखों पर रखने से स्पर्श सेंस का एक्टिव हो जाती है ऐसा करने से हमारी स्पर्श भावना एक्टिव रहती है।
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विशिष्ट फूलों की महक की वजह से ही गुलाब की पंखुड़ियों, चमेली, गेंदा जैसे फूल चढ़ाए जाते है जब फूल, कपूर और अगरबत्ती की खुशबू सब एक साथ मिल जाती है तो हमारी गंध भावना एक्टिव हो जाती है और हमारे मन को शांति देती है।
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हम जब भी मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें चांदी या ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ पानी जिसमें तुलसी पत्ता होता है वो पीने के लिए देते उस जल को जब हम पीते है तो चांदी या ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ होने के कारण हमारा शरीर तीनों दोषों वात, कफ और पित्त से मुक्त हो जाता है।
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जब हम मंदिर की परिक्रमा करते है तो हमारी पांचो इंद्रियां - सुनना, देखना, स्पकर्श, सूंघना और स्वाद सभी एक्टिव हो चुकी होती है परिक्रमा करने से शरीर में जो ओर कोई नेगेटिव कारक बचते है वो मंदिर का शुद्ध वातावरण अब्जॉर्ब कर लेता है।
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आंखों को प्रार्थना करने के लिए जब बंध करते है और जब हम अपनी आँखें खोलते है तो कपूर या दीया जो भी जलाया गया था उसकी ओर देखते ही छठी सेंस एक्टिव हो जाती है।
।।👣जय श्री राधे 🙏जय श्री कृष्णा👣।।
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