माँ पाताल भैरवी मंदिर
संस्कारधानी
रायपुर /राजनन्द गांव रोड
छत्तीसगढ़
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16 फीट नीचे विराजित पाताल भैरवी का यह मंदिxर, देखने को मिलते हैं कई चमत्कार
रायपुर/राजनांदगांव. राष्ट्रीय राजमार्ग पर नागपुर जाने की दिशा में स्थित मां पाताल भैरवी का मंदिर संस्कारधानी ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ के लिए धार्मिक आस्था का एक बड़ा केन्द्र बन गया है। संस्कारधानी की धार्मिक परंपराओं और संस्कृति को कायम रखने के उद्देश्य से स्थापित इस मंदिर में जमीन से 16 फीट नीचे वृत्ताकार गर्भग्रह में विराजित मां पाताल भैरवी की 15 फीट ऊंची और 11 टन वजनी रौद्र रूपी प्रतिमा को देखकर श्रद्धालु अचंभित हो जाते हैं।
108 फीट शिवलिंग आकर्षण का केन्द्र
वहीं 108 फीट का शिवलिंग रूपी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक का केन्द्र बना हुआ है। नवरात्रि में यहां आस्था का मेला लगता है। मंदिर समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि पूरे देशभर में मां पाताल भैरवी की प्रतिमा सहित शिवलिंग रूपी विशाल मंदिर और कहीं नहीं है।
बंटता है जड़ी-बूटी युक्त खीर
धार्मिक आस्था के साथ ही आध्यात्मिक और सेवा केन्द्र के रूप में भी मंदिर की प्रसिद्धी देशभर में होती जा रही है। शरद पूर्णिमा के दिन यहां आस्था मेला लगता है। देशभर के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु यहां जड़ी-बूटी युक्त खीर का प्रसाद लेने आते हैं। प्रसाद लेने के लिए रातभर रतजगा करते हैं।
प्रसाद ग्रहण से हो जाता है रोगमुक्त
विशेष कर दमा, श्वांस संबंधी बीमारी, अस्थमा सहित अन्य बीमारियों से पीडि़त रोगियों को हिमालय से लाई गई जड़ी-बूटी से युक्त खीर का प्रसाद दिया जाता है। मंदिर समिति की ओर से समय-समय पर रोगियों को निशुल्क में दवाइयां दी जाती हैं।
पुराणों के आधार पर मंदिर की स्थापना
इस विशाल मंदिर का पूरा निर्माण पुराणों के आधार पर किया गया है। जमीन के नीचे गर्भग्रह में मां पाताल भैरवी विराजित है। पुराण अनुसार आगे-आगे बजरंग बली चले पीछे भैरव बाबा, बीच में देवी रहे के आधार पर हनुमान, मां काली, भैरव बाबा के साथ ही रजतयुक्त गणेश वकी प्रतिमा स्थापित की गई है।
सिद्धपीठ के द्वितीय तल में देवी लोक बनाया गया है, जहां अद्वितीय दशमहाविद्या स्थापित है। वृत्ताकार आकार में दशमहाविद्या मां तारा, मां कमला, मां त्रिपुर भैरवी, मां वग्लामुखी, मां मातंगी, मां राजराजेश्वरी त्रिपुरी सुंदरी, मां दुर्गा, मां भुनेश्वरी, मां छिन्न माता, मां षोडशी, धूमावती एवं मां काली के साथ ही तृतीय तल में द्वादश शिवलिंग व पारे के शिवलिंग व भोलेनाथ की प्रतिमा स्थापित है
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