घर पर मानव खुशियों का मेला लग गया हो रही भी अपने रिश्तेदारों से मिलकर बहुत खुश थी उसके चाचा की दो बेटियां भी आ गई थी।
घर के सभी बच्चों ने मिलकर जूता छुपाई की प्लानिंग करना शुरू कर दिया था घर पर सभी ने बच्चों को यह हिदायत दी थी कि जूता छुपाई में ऐसा कुछ ना करें कि लड़के वालों को बुरा लग जाए बारात आने ही वाली थी घर के सभी लोग बारात स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार थी आरती की थाली मेहमानों को देने के लिए गुलाब हाथ में लिए सभी घराती राह देख रहे थे कि कब जीजा जी आएंगे जोरदार बैंड बाजे की आवाज के साथ और नाच गाने के साथ बारात आई रूही के दादा दादी माता पिता और चाचा चाची ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया।
बच्चे जीजाजी को देखकर खुश थे उनकी नजरों के जूतों पर थी कि कब मंडप पर बैठने के लिए जीजाजी जूते उतारे और बच्चे जूते लेकर भाग जाए।
लड़की वालों के लिए दूल्हे के जूते चुराना इतना आसान भी नहीं होता क्योंकि दूल्हे वालों की तरफ से भी लोग बड़ी प्लानिंग करके आते हैं।
रूही के भाई बहनों ने मिलकर अपने जीजा जी का स्वागत किया और उन्हें बात तो मूवी जाने की कोशिश की ताकि उनके जूते लिए जा सके। दूल्हे के दोस्त और भाई भी उनके साथ थे वे जानते थे कि लड़की वाले जरूर अब जूते छुपाने की कोशिश कर रहे हैं साली साहिबा बैठे हुए जीजा जी के जूते उनके पैरों से ही निकालने लगी लेकिन तुरंत दूल्हे साहब खड़े हो गए हैं और इस धक्का-मुक्की में साली साहिबा गिर भी गई और उन्हें बचाने के चक्कर में दूल्हे जी की शेरवानी फट गई।
यह सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि किसी को समझ ही नहीं आया कि आखिर यह सब हुआ कैसे रूही की मम्मी और पापा बहुत डर गए थे क्योंकि दूल्हे का शेरवानी इस तरह से फट जाना अच्छी बात नहीं थी।
उन्हें डर था कि कहीं इस बात को लेकर लड़के वाले कोई हंगामा ना करें रूही की मम्मी ने सभी बच्चों को डांट लगाई सभी बच्चे डर गए और चुपचाप खड़े हो गए।
तभी दामाद बाबू ने कहा अरे मम्मी क्यों डांट रही हो इनको या तो इनका हक है कोई बात नहीं हो जाता है ऐसा।
सभी रूही की छोटी बहन दौड़ करके सेफ्टीपिन लेकर आई और कहा जीजी आप शेरवानी अभी सेफ्टीपिन से ठीक कर लीजिए मुझे नहीं मालूम था कि ऐसा कुछ हो जाएगा और हमें कोई जूते नहीं छुपाने और ना ही हमें सगुन चाहिए।
दमाद बाबू इतने अच्छे के की बोले भाई जूते तो तुम निकाल ही चुके हो अब छुपाकर ही रखना ऐसा ना हो कि हम भूले और शगुन आप से ले ले।
शादी की सारी विधियां बहुत अच्छे से संपन्न हुई और आखिर में जब जूते पहने की बारी आई तो साली साहिबा ने जूतों को एक सुंदर शीत हाल में सजाकर जीजाजी के सामने पेश किया और कहा मुझे इन जूतों के बदले कोई शगुन नहीं चाहिए क्योंकि मैं जानती हूं कि मेरी दीदी को एक ऐसा जीवन साथी मिला है जो उनको जीवन भर खुश रखेगा उन पर कभी नाराज नहीं होगा।
दमाद बाबू ने अपनी साली के सर पर हाथ रख कर कहा कि जूते के बदले शगुन तुम्हें जरूर दूंगा और हां तुम तसल्ली रखो तुम्हारी दीदी को हमेशा खुश रखूंगा यह मेरा वादा है ( दोस्तों शादी में कई बार छोटी-छोटी बातों पर मनमुटाव हो जाते हैं समझदारी इसी में है कि बातों को बड़ा या ना जाए )
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धन्यवाद
अद्भुत। शानदार जेपी भाई
जवाब देंहटाएंThank You Friend.
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