क्यों आज तक कोई नहीं चढ़ पाया कैलाश पर्वत? अनसुलझे हैं कई रहस्य। कैलाश पर्वत के रहस्य से वैज्ञानिक क्यों है परेशान?

दोस्तों कैलाश मानसरोवर को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है कहा जाता है।
कहां जाता है कि यहां खुद भगवान शिव रहते हैं और उन्हीं के दर्शनों के लिए हजारों लाखों शिवभक्त हर साल यहां आते हैं। माना जाता है कि यहीं पर आदि शंकराचार्य ने भी अपने शरीर का त्याग किया था।
लोग हर साल हजारों की तादाद में शिव और पार्वती के दर्शन करने कैलाश आते हैं।
लेकिन कैलाश मानसरोवर जाने का मन बनाने में और वहां तक पहुंचने में बहुत फर्क है, क्योंकि यह यात्रा बहुत मुश्किल है हिमालय की चोटियों के बीच से गुजरता यह रास्ता बेहद ही खतरनाक होता है।
साथ ही मौसम बिगड़ने पर खतरा अक्सर बना रहता है। कैलाश पर्वत तक जाने के लिए दो रास्ते हैं।
एक रास्ता भारत में उत्तराखंड से होकर गुजरता है। लेकिन यह रास्ता बहुत मुश्किल है। क्योंकि यहां ज्यादातर पैदल चल कर ही यात्रा पूरी हो पाती है।

दूसरा रास्ता जो थोड़ा आसान है। वह है। नेपाल की राजधानी काठमांडू से होकर कैलाश जाने का रास्ता कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है। यह कैलाश पर्वत अपने अंदर कई राज भी समेटे हुए हैं।
शिव पुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण में कैलाश खंड नाम से एक अलग ही अध्याय है।
जिसमें कैलाश पर्वत की महिमा के बारे में बताया गया है पुरानी मान्यताओं के हिसाब से कैलाश पर्वत के पास एक पुरानी धनकुबेर नगरी भी है।
हालांकि इसके सटीक जगह के बारे में आज तक पता नहीं चल पाया है।
दोस्तों आज हम आप लोगों को कैलाश पर्वत से जुड़ी कुछ रहस्यों के बारे में बताएंगे जिसके बारे में शायद आप लोगों को पता नहीं होगा इसमें से कुछ रहस्य ऐसे हैं। जिनको जानने के बाद आप लोग हैरान रह जाएंगे।
रहस्यों से घिरा हुआ कैलाश पर्वत

आज तक कोई नहीं चढ़ सका कैलाश पर्वत।
हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है। क्योंकि यह भगवान शिव का स्थान माना जाता है। लेकिन इसमें सोचने वाली बात यह है। कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतेह कर चुके हैं। जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है। लेकिन कैलाश पर्वत तक आज तक कोई नहीं चढ़ पाया जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है। कैलाश पर्वत अब भी अजेय बना हुआ है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी अभी तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ सका ऐसा नहीं है कि किसी ने भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश नहीं की कई लोग इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

कैलाश पर चढ़ते ही होता है। दिशा भ्रम तेजी से बढ़ने लगते हैं। नाखून और बाल कैलाश पर्वत और कैलाश क्षेत्र पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है। इस पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने को असंभव बताते हैं।
इसी तरह की एक कोशिश पर्वतारोही कर्नल R.C. Wilson ने की थी लेकिन वह भी इसमें कामयाब नहीं हो सके उनकी माने तो एक सीधे रास्ते से कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ा जा सकता है। लेकिन भयानक बर्फबारी ने रास्ता रोक दिया और चढ़ाई को असंभव बना दिया इस पर्वत की चढ़ाई करने वाले लोगों ने एक दावा किया था। कुछ लोगों का कहना था। इस पर चढ़ाई के दौरान बड़ी तेजी से उनके बाल और नाखून बढ़ने लगे थे। जहां सामान्य तौर पर बालों और नाखूनों को बढ़ने में 2 हफ्ते का समय लगता है। वह कैलाश पर्वत की चढ़ाई के दौरान 12 घंटे में ही बाल और नाखून बढ़ने लगते हैं। कहा जाता है कि पर्वत के पर हवा के कारण उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। हालांकि वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए कि ऐसा क्यों होता है। 
हालांकि ये भी कैलाश पर्वत से जुड़ा एक बड़ा रहस्य है। कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश लगभग 21 साल पहले साल 2001 में की गई थी। जब चीन ने अपने एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी हालांकि इस टीम को भी कामयाबी हाथ नहीं लगी थी।
डिस्कवरी की टीम भी कर चुकी है चढ़ने की कोशिश
कहा जाता है कि एक बार डिस्कवरी की टीम इस पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए यहां आई थी। लेकिन उसमें से कोई भी इस पर्वत पर चढ़ नहीं सका आखिर में इन लोगों को वहां से वापस जाना पड़ा।
पर्वत के बारे में जानकारी रखने वाले लोग कहते हैं। इस पर्वत पर अच्छी आत्माएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसके अलावा यहां पर कोई प्रवेश नहीं कर सकता दुनिया भर के लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत एक पवित्र स्थान है।
इसलिए इस पर किसी को भी चढ़ाई करने नहीं देना चाहिए हालांकि अब कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। और इस पर ना चढ़ पाने का रहस्य भी आज तक बना हुआ है। इसके अलावा कहते हैं कैलाश पर्वत का कोण भी 65 डिग्री से ज्यादा है जबकि माउंट एवरेस्ट में यह 40 से 60 डिग्री है। शायद यह कोण ही इसकी चढाई को और मुश्किल बनाता है। यह भी एक वजह है कि पर्वतारोही एवरेस्ट पर तो चल जाते हैं लेकिन कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाते।
कैलाश पर्वत पर है अलौकिक शक्तियों का प्रभाव कैलाश पर्वत देखने में पिरामिड के आकार का है ऐसा कहा जाता है की कैलाश पर्वत धरती का केंद्र है जिसे एक्ससेस मुंडी भी कहा जाता है। कहते हैं किस पर्वत पर दसों दिशाएं आपस में मिल जाती हैं और यहां पर किसी भी दिशा पर कंपास लेकर जाया जाए तो वह खराब हो जाता है और ठीक से दिशा नहीं बताएगा रूस के एक वैज्ञानिक ने कैलाश पर्वत पर काफी शोध किया था जिसके बाद उन्होंने दावा किया था किस पर्वत पर कई तरह की अलौकिक शक्तियों प्रभाव होता रहता है यहां पर पहुंचने वाला शख्स इन अलौकिक शक्तियों को महसूस कर सकता है कहा तो यह भी जाता है किस पर्वत पर अच्छी शक्तियों का ही निवास है। ऐसे में यहां पर हर कोई नहीं पहुंच सकता है।
1999 में रूसी डॉक्टर खोले थे कई राज रूस के शोधकर्ताओं का मानना है की कैलाश पर्वत कोई पर्वत नहीं है बल्कि यह प्रकृति की एक रहस्यमई घटना है पर्वत का पूरा शिखर कैथीड्रोल की आकृति बनाता है। जोकि दिखने में पिरामिड जैसे दिखता है 1999 में रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ अर्नल मोदासिफ ने कैलाश पर्वत पर मौजूद रहस्य को खोजने की कोशिश की थी इसके लिए वह अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे थे उनकी टीम में पर्वतारोही, भू - वैज्ञानिक और  भौतिकी के विशेषज्ञ और इतिहासकार शामिल थे इस दल के सदस्यों ने कई तिब्बती लामाओ से मुलाकात की पवित्र कैलाश पर्वत के आसपास कई महीने बिताए थे। खोजबीन करने के बाद अर्नल की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि वास्तव में कैलाश पर्वत एक विशाल मानव निर्मित पिरामिड है जिसका निर्माण प्राचीन काल में किया गया था उन्होंने दावा किया कि पिरामिड के छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है। और यह पारलौकिक गतिविधियों का केंद्र है बाद में मोदासिफ ने एक किताब भी लिखिए "व्हेयर जुबी कम फ्रॉम" इसमें उन्होंने कैलाश यात्रा की काफी चर्चा की साथ में उन्होंने कैलाश के पारलौकिक शक्तियों का भी जिक्र किया वहां से लौटने के बाद मोदासिफ ने अपनी किताब में लिखा है। रात की खामोशी में पहाड़ के भीतर से एक अजीब तरह की फुसफुसाहट की आवाज सुनाई देती है। एकरात अपने दोनों सहयोगियों के साथ साफ-साफ पत्थरों के गिरने की आवाज सुनी थी यह आवाज कैलाश पर्वत के पेट के भीतर से सुनाई दे रही थी।
हमें ऐसा लगा कि जैसे पिरामिड के अंदर कुछ लोग रहते हैं।
मोदासिफ के किताब के बातो को बल मिलता है। एक वैज्ञानिक की बातों से दरअसल कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिक जार निकोलाई रोमनों और उनकी टीम ने तिब्बत की मंदिरों में धर्मगुरु से मुलाकात की थी उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथी से संपर्क करते हैं इन वैज्ञानिकों की बातों से ऐसा लगता है कि जरूर कुछ है जो अभी तक दुनिया के सामने नहीं आ पाया है और शायद यही वजह है कि आज तक इस पर्वत पर कोई चढ़ नहीं पाया है। हो सकता है कि किसी की न चढ़ पाने के पीछे भी यही शक्तियां हो हालांकि यह रहस्य है जिसे आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है।
कैलास पर मौजूद दो झीलों का रहस्य 

कैलाश पर्वत का दूसरा सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यहां पर मौजूद 2 झीलों 
पहला मानसरोवर जो दुनिया के शुद्ध पानी के जिलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य की तरह है।
दूसरी राक्षस नाम की झील है जो कि दुनिया के खारे पानी की सबसे ऊंची जगह मौजूद झीलों में से एक है। जिसका आकर चांद की तरह है।
यह दोनों जिले शौर्य और चंद्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा से है यह अभी तक रहस्य है कि यह झीले प्राकृतिक तौर पर बनी है या किसी ने इन्हें बनाया है। 
इसी तरह का एक और रहस्य इस पर्वत के साथ जुड़ा हुआ है कहा जाता है कि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील कि इलाके में जाएंगे तो आपको लगातार एक आवाज सुनाई देगी जैसे कि कहीं आसपास में हवाई जहाज उड़ रहा हो लेकिन ध्यान से सुने पर यह यह आवाज डमरु, ॐ की आवाज जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि की बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से ओम की आवाज सुनाई देती है दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइट आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं नासा के वैज्ञानिकों का मानना है हो सकता है यहां की चुंबकीय बल के कारण होता हो यहां का चुंबकीय बल आसमान से मिलकर कई बार कई तरह की चीजों का निर्माण कर सकते हैं हिंदू धर्म के अलावा कई दूसरे धर्मों में भी कैलाश पर्वत का खास महत्व बताया गया है माना जाता है कि कैलाश पर्वत एक तरफ स्फटिक, दूसरी तरफ माणिक, तीसरी तरफ सोना और चौथी तरफ नीलम से बना हुआ है.
कहा जाता है की कैलाश पर्वत 6 पर्वत श्रृंखलाओं के बीच कमल के फूल जैसा दिखता है वैसे कैलाश मानसरोवर की पीछे की कहानी जो भी हो चाहे जितने भी रहस्य अपने अंदर छुपाए हुए हो लेकिन इसमें किसी को शक नहीं यह जगह बेहद पावन शांत और शक्ति देने वाली है तर्क चाहे जो भी हो।
सच तो यही है किस जगह खुद ब खुद श्रद्धा से सर झुकता है।

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