आज कुछ मिनटों की न्यूज में देखा निकिता जी का चेहरा जेहन से जा ही नहीं रहा...ना ही भूल पा रही हूं उनका अपने शहीद पति को 'I Love you' कहना। एक पत्नी जब पति को 'I Love you' बोले तो जवाब पलटकर 'I Love you' ही कहना चाहिए ना मेजर विभूति। उठिए ना, एक पल के लिए ही सही जवाब दीजिए अपनी निकिता के 'I Love you' का! नहीं मैं मरने से नहीं डरती...ना ही किसी के नापाक हाथ या सिर कलम करने से लेकिन-लेकिन 'युद्ध' बर्बर युग की शुरुआत है यह हमेशा से मानती हूं। पुलवामा का कायर आतंकी हमला...40 शहीद...शहीदों की शहादत का बदला लेने निकले मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल भी वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी पत्नी निकिता...जो शायद अभी गर्भ से भी हैं...अपने पति के ताबूत को छूती हैं...अंतिम विदाई के समय आई लव यू कहती हैं...फ्लाइंग किस देती हैं, सैल्यूट करती हैं....उनके चेहरे से गर्व झलक रहा है, पति की शहादत पर, एक सच्चे वीर की वीरांगना हैं वो .... लेकिन उनका यह अधूरा सा I Love you...कसक छोड़ गया हमेशा के लिए।
किस तरफ ले आए हैं ना हम अपनी जिंदगी...एक घटिया सी जिद्द की कीमत कितने अधूरे I Love you से चुकानी पड़ेगी हमें। अरे कौन सा जिहाद और कैसी मुक्ति...किस बात के लिए हम छोटे-छोटे बच्चों की नसों में आतंकवाद का बारूद भर रहे हैं। मेरे लिए हमेशा से मैजिकल वर्ड रहा है " I Love you " ऐसा शब्द जिसे पहाड़ की चोटी से चढ़कर चिल्लाओ तो प्रतिध्वनि में I Love you ही सुनाई देगा और देना ही चाहिए। किसी को बोल दो तो बदले में प्यार ही मिलेगा, मिलना भी चाहिए। किसी के घायल दिल पर मरहम रखना हो, या किसी से कुछ बेहद अद्भुत करवाना हो तो I Love you...मेरे तीन मैजिकल वर्ड्स में से एक....लेकिन आज तो इस मैजिकल वर्ड का भी जादू ना चला। वो क्या जिद्द है जो हम अपने मासूमों को I Love you बोलने, एक दूसरे से प्यार करने की जगह नफरत करना सिखा रहे हैं। नन्हें-मुन्नों के हाथों को गलबहियां सिखाने की जगह पत्थर पकड़ना सिखा रहे हैं। सेना को अपील करनी पड़ रही है, अपने बच्चों को आतंकवाद का साथ देने से रोकिए....वो कश्मीर की माँओं से अपील कर रहे हैं, अपने बच्चों का भविष्य नफरत की नींव पर रखने से रोकें। सेना के अधिकारी माँ को समझाइश दे रहे हैं...हम माँ क्या कर रही हैं? जरा गली-मोहल्ले में निकल कर देखिए...हम अपने बच्चों को प्रेम और भाईचारे का पाठ पढ़ाने की जगह नफरत की नशीली गोलियां खिलाने लगी हैं। हाँ, नफरत एक नशा ही तो है जो सिर चढ़कर बोल रहा है। सोशल मीडिया पर देखिए...अलग तरह की बहस चल रही है...हल्के से हल्के शब्दों का उपयोग कानों में सीसा घोल रहा है। क्या कर रहे हैं हम सब....लफ्फाबाजी...जो शब्दों के रूप में बिखर रही है। अब तो हर सोच-विचार धारा ही संघाड़ मार रही है।
लेकिन नफरत की इस आंधी में हमें सिर्फ अधूरे I LOVE YOU ...ही मिलेंगे...जो बोले जाएंगें लेकिन उनका जवाब....इसलिए रोकना है तो नफरत के इस बवंडर को अपने आस-पास उठने से रोक ले।
साभार
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